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Sawan 2021: अगर सावन में धारण करने जा रहे हैं रुद्राक्ष, तो पहले जान लें ये नियम

Sawan 2021: जिस रुद्राक्ष का आकार सभी तरफ से एक समान, चिकना, पक्का और कांटो वाला होता है, उसे शुभ माना जाता है। वहीं जो रुद्राक्ष कीड़े लगा, टूटा–फूटा, बिना कांटों के छेदयुक्त और बिना जुड़ा होता है उसे अशुभ माना गया है। हमेशा ऐसे रुद्राक्ष को धारण करने से बचना चाहिए।

नई दिल्ली। अक्सर बड़े बुजुर्ग हमें रुद्राक्ष धारण करने की सलाह देते हैं। मान्यता है कि ये दिव्य बीज भगवान शिव के आसुओं से बना है। भगवान को प्रिय रुद्राक्ष न सिर्फ व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाता है बल्कि इसे धारण करने वाला व्यक्ति सदगुणों से भरा रहता है। यहीं कारण है कि ज्यादातर लोग इसे धारण करना पसंद करते हैं। वैसे तो रुद्राक्ष कई मुखी होते हैं जिनका अपना एक खास गुण और विशेषताएं होती है लेकिन क्या आप जानते हैं इसे धारण करते वक्त कई बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है तो चलिए आपको बताते हैं कौन से हैं वो नियम जो आपको रुद्राक्ष को धारण करते वक्त ध्यान में रखने चाहिए…

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कैसा होना चाहिए रुद्राक्ष

जिस रुद्राक्ष का आकार सभी तरफ से एक समान, चिकना, पक्का और कांटो वाला होता है, उसे शुभ माना जाता है। वहीं जो रुद्राक्ष कीड़े लगा, टूटा–फूटा, बिना कांटों के छेदयुक्त और बिना जुड़ा होता है उसे अशुभ माना गया है। हमेशा ऐसे रुद्राक्ष को धारण करने से बचना चाहिए।

कैसे धारण करें रुद्राक्ष

श्रावण का महीना रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। आप चाहे तो सावन के महीने में किसी भी दिन या फिर खास तौर पर सोमवार को इसे विधि–विधान के साथ धारण कर सकते हैं। इसे हमेशा लाल, पीला या फिर सफेद धागे में पहनना चाहिए। हमें कभी भी इसे काले घागे में नहीं पहनना चाहिए। इसे धारण करते वक्त ‘ॐ नम: शिवाय’ का जप करना चाहिए। इस बात का भी खास ख्यायल रखें की इसे चाँदी, सोना या तांबे में जड़वाकर हाथ, बाजु या फिर गले में पहने। इसके अलावा रुद्राक्ष की माला चाहे फिर वो पहनने वाली हो या फिर जप करने वाली, उसे दूसरे व्यक्ति को इस्तेमाल के लिए नहीं देना चाहिए।

gauri shankar rudraksha

कितनी संख्या में धारण करना चाहिए रूद्राक्ष

रुद्राक्ष को अलग–अलग जगह पर अलग अलग संख्या में धारण किया जाता है। जैसे शिखा में एक रुद्राक्ष, सिर पर 30, गले में 36, दोनों बाजुओं में 16-1,कलाई में 12 रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। कंठ में दो, पांच या फिर सात लड़ी की माला को धारण किया जाना चाहिए।