
नई दिल्ली। नागौर, राजस्थान के मांझवास में काठमांडू (नेपाल) जैसा पशुपतिनाथ महादेव मंदिर स्थित है। देश के इस मंदिर में स्थापित महादेव की मूर्ति अष्टधातुओं से निर्मित है। इस मंदिर की विभिन्न विशेषताओं और महत्व के चलते पूरे साल देश भर से श्रृद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। नागौर में स्थित भारत का ये पहला ऐसा मंदिर है, जो नेपाल के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज पर बना है। मांझवास गांव में स्थित भगवान शिव का ये मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केन्द्र है। शिवरात्रि और श्रावण मास में यहां पर श्रद्धालुओं भारी भीड़ देखने को मिलती है। शहर के मुख्य इलाके से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर की नींव योगी गणेशनाथ ने करीब साढ़े तीन दशक पहले साल 1982 में रखी थी।
मंदिर निर्माण के करीब 15 वर्ष बाद मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। नागौर के इस मंदिर में हर रोज चार बार विभिन्न समय पर आरती की जाती है, जिसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर में दर्शन के लिए आए एक श्रद्धालू पूर्ण मल पारीक ने बताया कि 12 ज्योर्तिलिंगों के दर्शन के बाद इस मंदिर की स्थापना की गई।
मंदिर में स्थापित शिव की मूर्ति अष्टधातुओं से निर्मित है, जिसमें पारा धातु भी शामिल है। मिली जानकारी के अनुसार, मूर्ति का वजन 16 क्विंटल 60 किलो है। मंदिर के महंत के अनुसार, ये भारत का पहला ऐसा मंदिर है, जहां 121 कुण्डीय यज्ञ के साथ मूर्ति की स्थापना की गई है। एक कारण ये भी है कि इस मंदिर को महत्वपूर्ण माना जाता है और भगवान शिव को समर्पित पर्वों पर श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती हैं।