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Hartalika Teej 2022 Vrat: कल मनाया जाएगा हरितालिका तीज का पर्व, जानिए क्यों बांधते हैं फुलेरा और इसका महत्व?

Hartalika Teej 2022 Vrat: इस व्रत को पूरे भक्ति-भाव से रखने से वैवाहिक जीवन तो सुखमय रहता ही है, पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम भी बढ़ता है। हरतालिका तीज के त्योहार में पूजा के दौरान फुलेरा बांधने का नियम है। तो आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है ये फुलेरा, और इसका महत्व क्या है?

नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 30 अगस्त 2022, मंगलवार को पड़ रही है। इस शुभ दिन पर मां गौरा और भगवान शंकर की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु सुख-सौभाग्य की कामना पूरी करने के लिए रखती हैं। वहीं, कुंवारी लड़कियां इस व्रत को रखकर ईश्वर से अच्छे वर प्राप्त होने की कामना करती हैं। हरतालिका तीज के पर्व पर महिलाएं नख से शिख तक पूरे 16 श्रृंगार कर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। हिंदू धर्म में रखे जाने वाले करवा चौथ, हरियाली तीज, कजरी तीज और वट सावित्री जैसे सभी व्रतों में हरतालिका तीज का व्रत सबसे अधिक कठिन व्रत माना जाता है। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को पूरे भक्ति-भाव से रखने से वैवाहिक जीवन तो सुखमय रहता ही है, पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम भी बढ़ता है। हरतालिका तीज के त्योहार में पूजा के दौरान फुलेरा बांधने का नियम है। तो आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है ये फुलेरा, और इसका महत्व क्या है? साथ ही जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त कब है?

शुभ-मुहूर्त

भाद्रपद मास की तृतीया तिथि का आरंभ  29 अगस्त 2022, सोमवार, शाम 03: 21 मिनट से हो जाएगा, जो 30 अगस्त 2022 मंगलवार, शाम 03:34 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं प्रदोष काल का आरंभ 30 अगस्त 2022 की शाम 06.33 से होकर रात 08.51 तक समाप्त हो जाएगा।

हरतालिका तीज पर फुलेरा का महत्व

सभी व्रतों में हरतालिका तीज का व्रत सबसे कठिन और फलदायी माना जाता है। इसकी पूजा में भगवान शंकर के ऊपर ताजे फूलों से बनी 5 मालाएं यानी की फुलेरा बांधा जाता है। हरतालिका तीज की पूजा में फुलेरा का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि हरितालिका तीज के फुलेरा में मौजूद 5 मालाएं भोलेनाथ की पांच पुत्रियों (जया, विषहरा, शामिलबारी, देव और दोतली) का प्रतीक रूप हैं।

हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सर्वप्रथम मां पार्वती ने हरतालिका तीज का निर्जला व्रत किया था, मां पार्वती के इस कठिन व्रत-तप से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। उस दिन के बाद से सभी स्त्रियां पति की लंबी आयु, मनचाहे वर की कामना और अखंड सौभाग्य के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं।