
नई दिल्ली। छठ का महापर्व हर साल पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से छठ महापर्व की शुरुआत हो जाती है। इस दिन छठी मैया की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। उगते और डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। छठ का ये महापर्व चार दिनों तक चलता है जिसकी शुरुआत नहाय-खाय के दिन से हो जाती है। इसके बाद खरना, उसके अगले दिन डूबते सूर्य की आराधना और अगली सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य देकर इस महापर्व की समाप्ति होती है। छठ पूजा के दौरान पवित्रता और स्वच्छता का बेहद विशेष ध्यान रखा जाता है। तो चलिए बताते हैं इस साल 2024 कब से शुरू हो रहा है आस्था का ये महापर्व?
कब है छठ पूजा?
पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल षष्ठी तिथि के साथ छठ पूजा आरंभ होती है। इस बार षष्ठी तिथि 07 नवंबर, रात 12 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 08 नवंबर, रात 12 बजकर 34 मिनट तक है।
कार्तिक छठ पूजा कैलेंडर 2024
- नहाय खाय- 05 नवंबर 2024
- खरना- 06 नवंबर 2024
- शाम का अर्घ्य- 07 नवंबर
- सुबह का अर्घ्य- 08 नवंबर
छठ पूजा का महत्व
आस्था के इस महापर्व छठ की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस दिन नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं स्नान करने के बाद केवल एक बार भोजन करती हैं। छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है। खरना वाले दिन शाम में छठी मैया को प्रसाद का भोग लगाने के बाद से सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। महापर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और महापर्व के अंतिम दिन महिलाएं उगते सूर्य को जल देती हैं और शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करती हैं।
ध्यान रखें ये बातें
- छठ पूजा के दौरान बर्तन या पूजन सामग्री को झूठे हाथ से नहीं छूना चाहिए। ऐसा करने से साधक का व्रत खंडित हो जाता है।
- महापर्व के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।
- पहले से प्रयोग किए गए बर्तनों को पूजा में इस्तेमाल करना वर्जित है।