newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Chhath puja 2023: इस दिन से शुरू हो रहा है आस्था का महापर्व छठ, जानिए नहाय खाय, खरना, अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त व पारण का समय

Chhath puja 2023: छठ पर्व षष्ठी तिथि से दो दिन पहले यानि चतुर्थी तिथि के दिन नहाय-खाय से ही आरंभ हो जाता है और इसका समापन सप्तमी तिथि को पारण करके किया जाता है। छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। इस पर्व में मुख्यतः सूर्य देव को अर्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है। तो आइए आपको बताते हैं छठ पूजा की तिथि, अर्घ्य का समय और पारण समय…

नई दिल्ली। दिवाली का त्योहार बीत चुका है और अब बहुत ही जल्द आस्था का महापर्व छठ आरंभ होने वाला है। छठ का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है। पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में सूर्य देवता और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। छठ का व्रत बेहद कठिन माना जाता है क्योंकि इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है। इस साल छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर 2023 से हो रही है, जिसका समापन 20 नवंबर को होगा। छठ का महापर्व बिहार में बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है। छठ पर्व षष्ठी तिथि से दो दिन पहले यानि चतुर्थी तिथि के दिन नहाय-खाय से ही आरंभ हो जाता है और इसका समापन सप्तमी तिथि को पारण करके किया जाता है। छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। इस पर्व में मुख्यतः सूर्य देव को अर्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है। तो आइए आपको बताते हैं छठ पूजा की तिथि, अर्घ्य का समय और पारण समय…

नहाय-खाय तिथि

चार दिनों तक चलने वाले आस्था के इस महापर्व छठ का आरंभ नहाय-खाय से होता है। इस साल नहाय-खाय 17 नवंबर को है। इस दिन सूर्योदय 06:45 बजे होगा। वहीं, सूर्यास्त शाम 05:27 बजे होगा। बता दें कि छठ पूजा में नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान करने के पश्चात् नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करती है। इस दिन व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।

खरना तिथि

खरना छठ महापर्व का दूसरा दिन है, जो नहाय खाय के बाद आता है। इस साल खरना 18 नवंबर को है। इस दिन का सूर्योदय सुबह 06:46 बजे और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा। खरना के दिन व्रती को मीठा भोजन करना होता है। इस दिन गुड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। खरना के दिन प्रसाद खाने के बाद व्रतियों का व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन नमक नहीं खाया जाता है।


संध्या अर्घ्य का समय

छठ पूजा पर सबसे महत्वपूर्ण तीसरा दिन होता है। इस दिन सूर्य देवता को संध्या अर्घ्य अर्पित किया जाता है। व्रती इस दिन घाट पर डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देती हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। बता दें कि 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 5 बजकर 26 मिनट पर होगा। इस दिन टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है।

उगते सूर्य को अर्घ्य

चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 47 मिनट पर होगा। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही 36 घंटों से चले आ रहे इस व्रत का समापन हो जाता है। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का ग्रहण करके व्रत का पारण करती हैं।