नई दिल्ली। बिहारवासियों का पावन त्योहार छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। छठ पूजा बिहारियों का महा पर्व है। इस दिन का हर बिहारी बड़े बेसब्री से इंतजार करता हैं। यह पावन पर्व दिवाली के ठीक 6 दिन बाद होती हैं। छठ के व्रत को सबसे कठिन व्रत माना गया हैं। छठ पूजा 4 दिन का मनाए जाने वाला त्योहार हैं, जिसके पहले दिन नहाए खाए होता है जो कि कल यानी 28 अक्टूबर को थी। आज छठ पूजा का दूसरा दिन खरना के रूप में मनाया जाता है। खरना का अर्थ शुद्धिकरण होता हैं। आइए हम आपको खरना वाले दिन क्या होता है और इसका क्या महत्व है इसके बारे में पूरी जानकारी देते हैं-
खरना के दिन क्या होता हैं?
खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं। इस दिन नया मिट्टी का चूल्हा बनाया जाता है। ध्यान रहें चूल्हा ऐसी जगह बनाएं जहां रोज खाना न बनता हो। इसके बाद इस चूल्हे में गुड़ की खीर प्रसाद के रूप में बनाया जाता है। जिसे व्रत रखने वाली महिलाएं सबसे पहले खाती है उसके बाद उस गुड़ की खीर को बाकी लोगों में बांटा जाता है। आज के दिन से ही व्रत करने वाली महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता हैं।
खरना को क्या करें
- छठ पूजा के दौरान महिलाओं को झूठे फल या प्रसाद का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- पूजा में बनने वाले प्रसाद को पहले व्रत करने वाली महिलाएं खाए फिर बाद में किसी और को दें।
- इस दिन साफ- सफाई रखनी चाहिए और प्याज लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- बिना सूर्य भगवान को अर्घ्य दिए खाना न खाएं।
- छठ पूजा का प्रसाद व्रती महिलाओं को शांत होकर ग्रहण करना चाहिए।
- छठ पूजा के दिन न किसी से झगड़ा करें ना हि किसी को अपशब्द कहें।