
नई दिल्ली। बीते कई दशकों से मुसीबतों के पहाड़ का भार उठा रहे कश्मीर पर फिर से एक नई मुसीबत मंडराती नजर आ रही है। ऐसा कश्मीर वासियों का कहना है। यहां की प्रकृति में कुछ ऐसे बदलाव देखे जा रहे हैं, जिन्हें कश्मीरवासी अपशकुन मान रहे हैं। दरअसल, कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी खीर भवानी मंदिर में बने कुंड में पानी के रंग में परिवर्तन हो रहा है, जिसे लेकर वहां के लोगों में एक डर पैदा हो गया है। कुंड का पानी अचानक से लाल रंग का हो गया है। कश्मीर के लोगों का कहना है कि इससे पहले खीर भवानी मंदिर के कुंड का पानी काले रंग का हो गया था और उस समय कश्मीरी पंडित अपना घर छोड़ने पर मजबूर हुए थे। उन्हें अपने शहर से पलायन करना पड़ा था। एक बार फिर से कुंड का पानी अपना रंग बदल रहा है, ऐसे में कश्मीरी लोगों में इसे लेकर दहशत है। घाटी के मुस्लिम भी इसे अच्छा नहीं मान रहे हैं। गौरतलब है कि माता खीर भवानी का ये मंदिर मध्य कश्मीर के गंदरबल के तुलमुला में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि मां खीर भवानी मंदिर के कुंड के पानी का रंग नीला या हरा होना शुभ संकेत है, लेकिन पानी का लाल या काला रंग आने वाले संकट की आहट है।
इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो ऐसी मान्यता है कि खीर भवानी मंदिर रावण की कुलदेवी मां रागन्या देवी का मंदिर है। कहा जाता है कि जब भगवान हनुमान माता सीता को ढ़ूंढ़ते हुए लंका पहुंचे, तो देवी रागन्या ने रावण की हरकतों से तंग होकर हनुमानजी से कहा था कि वो उन्हें ले जाकर कहीं और स्थापित कर दें। इसके बाद हनुमानजी ने उन्हें लंका से लाकर कश्मीर में स्थापित कर दिया था।
खीर भवानी मंदिर में हर साल मई के महीने की पूर्णिमा के आठवें दिन यानी अष्टमी को एक विशाल मेला लगता है, जिसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं। कहा जाता है कि इसी दिन जल कुंड की खोज हुई थी। तभी से इस तिथि पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है साथ ही देवी रागन्या को खीर का भोग लगाया जाता है।