
नई दिल्ली। सावन के महीने में पड़ने वाला नाग पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ये पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्त नागों को दूध पिलाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पूरे भक्ति भाव से नाग देवता की पूजा करने से मनोवांछित फल तो प्राप्त होते ही हैं, साथ ही कुंडली में मौजूद काल सर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है। लेकिन अगर नाग देवता की पूजा करते समय अपनी राशि के अनुसार, मंत्रों का जाप किया जाता है तो दोगुने फल प्राप्त होता है। तो आइये जानते हैं किस राशि के जातक को कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
मेष राशि- ॐ गिरी नम:
वृषभ राशि- ॐ भूधर नम:
मिथुन राशि- ॐ व्याल नम:
कर्क राशि- ॐ काकोदर नम:
सिंह राशि- ॐ सारंग नम:
कन्या राशि- ॐ भुजंग नम:
तुला राशि- ॐ महिधर नम:
वृश्चिक राशि- ॐ विषधर नम:
धनु राशि- ॐ अहि नम:
मकर राशि- ॐ अचल नम:
कुंभ राशि- ॐ नगपति नम:
मीन राशि- ॐ शैल नम:
नाग पंचमी की पूजा-विधि
1.नागपंचमी के त्योहार पर अनन्त, वासुकि, शेष, पद्म, कम्बल, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शङ्खपाल, कालिया, तक्षक, पिङ्गल कुल 12 नाग देवताओं की पूजा की जाती है।
2.नागपंचमी से एक दिन पहले चतुर्थी को केवल एक बार भोजन करना चाहिए और दूसरे दिन यानी पंचमी को पूरे दिन उपवास करके शाम को भोजन ग्रहण करना चाहिए।
3.इस दिन पूजा करने के लिए नागदेवता के चित्र या मिटटी से बनी सर्प की मूर्ति को लकड़ी की चौकी पर स्थापित करने के बाद उनकी पूजा करनी चाहिए।
4.नाग देवता का दुग्धाभिषेक करना चाहिए ।
5.इसके बाद हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करना चाहिए।
6.कच्चे दूध, घी, चीनी का मिश्रण बनाकर नाग देवता को अर्पित करना चाहिए।
7.पूजा करने के बाद उनकी आरती कर उन्हें प्रणाम करें।
8.पूजा के बाद नाग पंचमी की कथा सुनना काफी फलदायी होता है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।