12 नहीं इस बार 11 साल बाद ही होगा कुंभ मेले का आयोजन, जानिए किस-किस तारीख को होगा शाही स्नान

12 साल में आयोजित होने वाले कुंभ मेले (Kumbh Mela) का आयोजन वैसे तो साल 2022 में होना चाहिए था लेकिन तब गुरु, कुंभ राशि में नहीं होंगे इस कारण से इस बार का कुंभ मेला 2021 में ही आयोजित किया जाएगा। 14 जनवरी 2021 से इस कुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है। इस दिन मकरसंक्रांति का त्यौहार भी है।

Avatar Written by: January 6, 2021 7:52 pm

नई दिल्ली। इस बार का कुंभ मेला हरिद्वार में लगने वाला है। देश में चार जगहों पर कुंभ का मेला लगता है। इसमें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन शामिल हैं। इस मेले के पीछे की कहानी यह है कि गुरु 12 साल में अपनी एक पूरे चक्र को पूरा करता है। गुरु अन्य राशियों में विचरण करते हुए 12 साल के अंतराल के बाद एक बार अपनी स्वराशि यानि अपने स्वग्रह राशि कुंभ में प्रवेश करता है। इसी संयोग को सेलिब्रेट करने के लिए कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। कुंभ के आयोजन में सूर्य और देव गुरु बृहस्पति की अहम भूमिका मानी जाती है। इन दोनों ही ग्रहों की परिचालन गणना के आधार पर कुंभ के आयोजन का समय निश्चित किया जाता है। इस बार हरिद्वार में आयोजित होनेवाला यह कुंभ मेला कई मायने में खास है। क्योंकि हर बार की तरह इस बार कुंभ का मेला 12 वर्ष में नहीं 11 वर्ष में लगने वाला है।

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इसके पीछे की वजह यह है कि 12 साल में आयोजित होने वाले कुंभ मेले का आयोजन वैसे तो साल 2022 में होना चाहिए था लेकिन तब गुरु, कुंभ राशि में नहीं होंगे इस कारण से इस बार का कुंभ मेला 2021 में ही आयोजित किया जाएगा। 14 जनवरी 2021 से इस कुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है। ऐसे में कुंभ मेले के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु गंगा के किनारे अपना सर झुकाएंगे। आस्था और आध्यात्म का यह विश्व का सबसे बड़ा संगम है।

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आपको बता दें कि हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस बात का निर्णय होता है कि चार निश्चित स्थानों में से किस स्थान पर कुंभ का आयोजन होना है। यह सब नक्षत्र और राशियां यह निर्धारित करती हैं। हरिद्वार में कुंभ का आयोजन गंगा तट पर वहीं प्रयागराज में गंगा-यमुना-सरस्वती का संगम तट पर, नासिक में गोदावरी तट पर और उज्जैन में शिप्रा नदी का तट पर होता है।

इस वर्ष हरिद्वार में लगनेवाले कुंभ का पहला शाही स्नान 11 मार्च को शिवरात्रि के अवसर पर होना है। वहीं दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या के दिन तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल को मेष संक्रांति के अवसर और चौथा शाही स्नान बैसाख पूर्णिमा पर आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा 6 दिन प्रमुख स्नान होंगे।

हिंदू धर्म की मानें तो कुंभ स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलने के साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। वहीं कुंभ में स्नान करने से पितरों की शांति भी होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है।

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