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Ganga Saptami 2022: कल है गंगा सप्तमी का पर्व, इस दिन व्रत रखने से इन तीन पापों का होता है नाश

Ganga Saptami 2022: इस दिन जप-तप, व्रत और दान आदि करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। हर साल ये पर्व  वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। तो आइये जानते हैं क्या है इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व.

नई दिल्ली। सनातन धर्म में मनाए जाने वाले कई त्योहारों, पर्वों और व्रतों में से एक पर्व गंगा सप्तमी 8 मई को पड़ रही है। कहा जाता है इस दिन मां गंगा महर्षि जह्नु के कान से धरती पर प्रकट हुई थीं। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है इसके अलावा इस दिन जप-तप, व्रत और दान आदि करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। हर साल ये पर्व  वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। तो आइये जानते हैं क्या है इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व…

शुभ-मुहूर्त

इस साल इस तिथि की शुरुआत 7 मई, शनिवार को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 8 मई, रविवार को शाम 5 बजे समाप्त हो रही है। 8 मई को वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी की उदया तिथि प्राप्त हो रही है। इसलिए गंगा सप्तमी का पर्व भी 8 मई को मनाया जाएगा। गंगा सप्तमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 8 मई की सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 2 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।

गंगा सप्तमी की पूजा-विधि

गंगा सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी में स्नान करना चाहिए, लेकिन अगर आप ऐसा करने में असमर्थ हैं तो पानी की बाल्टी में थोड़ा गंगाजल मिला भी स्नान कर सकते हैं। गंगा स्नान करते समय मां गंगा का ध्यान करते हुए उनका जप करें। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में घी का दीप जलाएं। सभी देवी-देवताओं की तस्‍वीरों पर गंगाजल छिड़ककर मां का ध्यान करते हुए पुष्प अर्पित करें। इसके बाद घर पर ही मां को सात्विक चीजों का भोग लगाकर उनकी आरती करें।

गंगा स्नान से करने के लाभ

गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान करने से कायिक, वाचिक और मानसिक पापों का नाश होता है साथ ही पुण्यफल की भी प्राप्ति होती है।

कायिक

चोरी, हिंसा, पराई स्त्री के पास जाना, इन तीन तरह के कार्यों को कायिक यानी शारीरिक पाप के अन्तर्गत रखा जाता है।

वाचिक 

इसके अंतर्गत कड़वा और झूठ बोलना, पीठ पीछे किसी की बुराई करना और फालतू की बातों में लिप्त रहना जैसे कार्य शामिल होते हैं।

मानसिक 

अन्यायपूर्ण तरीके से दूसरों की चीजें लेने का विचार करना, किसी से द्वेष करना उनका बुरा चाहना, गलत कामों को करने की जिद करना, ये कार्य मानसिक पाप के अंतर्गत आते हैं।