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वैशाख पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा में जानें अंतर

वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा हर साल अप्रैल या मई महीने में आती है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा आज यानि  7 मई को है। हिन्‍दू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है।

नई दिल्ली। वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा हर साल अप्रैल या मई महीने में आती है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा आज यानि  7 मई को है। हिन्‍दू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्‍व

बुद्ध पूर्णिमा एक ऐसा त्‍योहार है, जिसे हिन्‍दू और बौद्ध दोनों धर्म के अनुयायी बड़े उत्‍साह के साथ मनाते हैं। मान्‍यता है कि इसी दिन बौद्ध धर्म के संस्‍थापक महात्‍मा बुद्ध ने जन्‍म लिया था। वहीं, हिन्‍दू धर्म में बुद्ध को श्री हरि विष्‍णु का अवतार माना जाता है, इसलिए हिन्‍दुओं के लिए भी इस पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है।

गौतम बुद्ध के जन्‍मोत्‍सव के कारण बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंती और ‘वेसाक’ उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। मान्‍यता है कि इसी दिन उनको बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्‍ति हुई थी और यही उनका निर्वाण दिवस भी है। इस दिन गंगा स्‍नान का भी विशेष महत्‍व है। हालांकि इस बार कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते लोग गंगा स्‍नान नहीं कर पाएंगे। ऐसे में आप घर पर रहकर ही बुद्ध पूर्णिमा की पूजा करें।

बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं

– माना जाता है कि वैशाख की पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु ने अपने नौवें अवतार के रूप में जन्म लिया।

– मान्यता है कि भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उनसे मिलने पहुंचे थे। इसी दौरान जब दोनों दोस्त साथ बैठे तब कृष्ण ने सुदामा को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था। सुदामा ने इस व्रत को विधिवत किया और उनकी गरीबी नष्ट हो गई।

– इस दिन धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है। कहते हैं कि सत्यविनायक व्रत से धर्मराज खुश होते हैं। माना जाता है कि धर्मराज मृत्यु के देवता हैं इसलिए उनके प्रसन्‍न होने से अकाल मौत का डर कम हो जाता है।