नई दिल्ली। वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) आज मनाया जा रहा है। हर साल ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन वट सावित्री का व्रत किया जाता है। ये व्रत पति की लम्बी उम्र के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा (Women Worship Banyan Tree) करती हैं, परिक्रमा करती हैं और कलावा बांधती हैं। इस बार शनि जयंती और सूर्य ग्रहण वाले दिन वट सावित्री व्रत पड़ रहा है।
वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 9 जून 2021, दोपहर 01:57 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 10 जून 2021, शाम 04:22 बजे
पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन ही सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। ऐसी मान्यता चली आ रही है कि जो स्त्री सावित्री के समान यह व्रत करती है उसके पति पर भी आनेवाले सभी संकट इस पूजन से दूर होते हैं। इसके अलावा शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन वट और पीपल की पूजा कर शनिदेव को प्रसन्न किया जाता है।
वट सावित्री व्रत महत्व
वट सावित्री व्रत के दिन सभी सुहागन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार करके बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। ऐसा पति की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। इस व्रत के परिणामस्वरूप सुखद और संपन्न दांपत्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। ऐसे वट सावित्री का व्रत समस्त परिवार की सुख-संपन्नता के लिए भी किया जाता है। दरअसल सावित्री ने यमराज से न केवल अपने पति के प्राण वापस पाए थे, बल्कि उन्होंने समस्त परिवार के कल्याण का वर भी प्राप्त किया था।