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Akshaya Tritiya 2021: कब है अक्षय तृतीया, जानें महत्व और पूजा विधि

Akshaya Tritiya 2021: हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2021) तिथि और पर्व का बहुत महत्‍व है। मान्‍यता है कि इस शुभ दिन पर दान-पुण्‍य करने से इसका फल कई जन्‍मों तक मिलता है। इस पवित्र दिन दान, स्‍नान, जप और किसी गरीब को भोजन कराने से पुण्‍य की प्राप्‍ति होती है।

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2021) तिथि और पर्व का बहुत महत्‍व है। मान्‍यता है कि इस शुभ दिन पर दान-पुण्‍य करने से इसका फल कई जन्‍मों तक मिलता है। इस पवित्र दिन दान, स्‍नान, जप और किसी गरीब को भोजन कराने से पुण्‍य की प्राप्‍ति होती है। किसी भी तरह के नए कार्य की शुरुआत, स्‍वर्ण खरीदने, नए व्‍यापार या विवाह आदि के लिए अक्षय तृतीया का दिन बहुत शुभ होता है।

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 14 मई को पड़ रही है। अक्षय तृतीया एक संस्कृत शब्द है। ‘अक्षय’ का अर्थ है -‘शाश्वत, सुख, सफलता और आनंद की कभी कम न होने वाली भावना’ और ‘तृतीया’ का अर्थ है ‘तीसरा’।

अक्षय तृतीया महत्व

मान्‍यता है कि इस शुभ दिन पर भगवान विष्‍णु जी ने धरती पर परशुराम जी के रूप में 6वां अवतार लिया था और इस‍ दिन को परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। साथ ही इस दिन गंगा भी धरती पर अवतरित हुई थी। अक्षय तृतीया को आखातीज भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस शुभ दिन पर भगवान कृष्‍ण जी के मित्र उनसे मिलने द्वारिका आए थे। उस समय सुदामा जी के पास अपने मित्र को देने के लिए कुछ नहीं था इसलिए उन्‍होंने कृष्‍ण जी को भेंट के रूप में चावल दिए थे। उस चावल के बदले भगवान कृष्‍ण ने सुदामा जी के सारे दुख दूर कर दिए थे।अक्षय तृतीया का दिन शुभ कार्यों के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है इसलिए अगर लंबे समय से आप कोई नया काम शुरु करने की सोच रहे हैं तो इस दिन बिना कोई मुहूर्त निकलवाएं आप उस काम को शुरु कर सकते हैं। विवाह के लिए भी ये दिन बहुत शुभ माना जाता है। अक्षय का अर्थ है अनंत और इस दिन दान करने से अनंत काल तक पुण्‍य की प्राप्‍ति होती है इसलिए आप अक्षय तृतीया के दिन दान आदि जरूर करें। इससे आपको ही नहीं बल्कि आपके पूर्वजों को भी पाप से मुक्‍ति मिलेगी।

अक्षय तृतीया पूजा विधि

अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है। इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु की आराधना में लीन होते हैं। स्त्रियां अपने और परिवार की समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करके श्री विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए।

शांत चित्त से उनकी श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धुप-अगरबत्ती एवं चन्दन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए। नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि का चढ़ावा करें।

इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिये।