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Sarva Pitru Amavasya 2022: कब पड़ रही सर्वपितृ अमावस्या, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि?

Sarva Pitru Amavasya 2022: वैसे तो पितृपक्ष 15 दिनों तक चलता है लेकिन इस बार ये 16 दिनों तक रहने वाला है। इसका समापन अश्विन मास की अमावस्या तिथि को किया जाएगा। अमावस्या तिथि को सर्व पितृपक्ष अमावस्या, विसर्जनी या महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

नई दिल्ली। सनातन धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व होता है। इस समय श्राद्ध चल रहे हैं और इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनके नाम से श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। वैसे तो पितृपक्ष 15 दिनों तक चलता है लेकिन इस बार ये 16 दिनों तक रहने वाला है। इसका समापन अश्विन मास की अमावस्या तिथि को किया जाएगा। अमावस्या तिथि को ‘सर्व पितृपक्ष अमावस्या’, ‘विसर्जनी’ या ‘महालया अमावस्या’ के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ये तिथि 25 सितंबर को पड़ रही है। सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों की विदाई देने का नियम है। तो आइए आपको इसके महत्व और पूजा विधि के बारे में भी बता देते हैं।

सर्वपितृपक्ष अमावस्या का महत्व

सनातन धर्म में पितृ पक्ष की अमावस्या तिथि का सबसे अधिक महत्व होता है। क्योंकि वो लोग जिनका किसी कारणवश श्राद्ध नहीं हो सका है या जिन पूर्वजों की मृत्यु तिथि याद नहीं है, इस दिन उनका भी श्राद्ध किया जा सकता है। इस दिन पितरों के नाम से उनके पंसदीदा पकवान आदि बनाकर श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पितर धरती लोग से तृप्त होकर वापस पितृ लोक की ओर प्रस्थान करते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलने के साथ ही तर्पण करने वाले को भी मोक्ष प्राप्त होता है। पितृ अमावस्या के दिन पितरों के नाम से भोजन बनाकर कौए, गाय और कुत्ते और अन्य जीव जन्तुओं को भी खिलाना चाहिए। इसके अलावा, ब्राह्मणों  को भी भोजन कराना शुभ माना जाता है।

पूजा-विधि

1.इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।

2.पूजा के समय अपना मुख दक्षिण दिशा की ओर रखें।

3.अब एक तांबे के लोटे में गंगाजल लें।

4.इस जल में काले तिल, कच्चा दूध और कुस डालें।

5.इसके बाद इस जल का तर्पण करते हुए पितरों की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें।

6.पितरों के लिए बनाए गए पकवान में खीर जरुर शामिल करें।

7.अब पितरों के लिए निकाले गए भोजन के पांच हिस्से करें।

8.इसमें से पहला हिस्सा देवताओं को अर्पित करें। बाकी  गाय, कुत्ता, चींटी और कौवे को खिलाएं।

9.इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

10.उन्हें सफेद वस्त्र और दक्षिणा दान कर उन्हें विदा करें।

11.इस दिन दीप दान करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और आर्थिक पक्ष भी मजबूत होता है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।