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Utpanna Ekadashi 2023 Date: कब है उत्पन्ना एकादशी? इस दिन का है विशेष महत्त्व, जानिए पूजा के मुहूर्त से लेकर पारण तक का समय

Utpanna Ekadashi 2023 Date: अगर आप भी एकादशी व्रत का आरंभ करना चाहते हैं तो उत्पन्ना एकादशी से शुरुआत करें। इसका फल बहुत ही पुण्यदायी होता है। इस साल उत्पन्ना एकादशी की डेट को लेकर लगातार कन्फ्यूजन बना हुआ है। तो चलिए आपको बताते हैं उत्पन्ना एकादशी की सही तारीख, मुहूर्त और महत्व।

नई दिल्ली। मार्गशीर्ष का महीना शुरू हो चुका है। इस महीने को श्रीकृष्ण का प्रिय महीना भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष का महीना 26 दिसंबर 2023 तक रहेगा। इस दौरान कई व्रत और त्योहार आएंगे जो भगवान विष्णु को समर्पित हैं। इन्हीं में से एक मार्गशीर्ष महीने में होने वाली उत्पन्ना एकादशी है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी व्रत रखने की शुरुआत हुई थी। इसीलिए इस एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। इस व्रत को रखने से समस्त सांसारिक सुख भोगकर मोक्ष की प्राप्ती होती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के रखने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी एकादशी व्रत का आरंभ करना चाहते हैं तो उत्पन्ना एकादशी से शुरुआत करें। इसका फल बहुत ही पुण्यदायी होता है। इस साल उत्पन्ना एकादशी की डेट को लेकर लगातार कन्फ्यूजन बना हुआ है। तो चलिए आपको बताते हैं उत्पन्ना एकादशी की सही तारीख, मुहूर्त और महत्व।

8 या 9 दिसंबर 2023 उत्पन्ना एकादशी कब ?

पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी तिथि की शुरुआत 8 दिसंबर 2023 को सुबह 05.06 पर हो रही है। जिसका समापन 9 दिसंबर 2023 को सुबह 06.31 मिनट पर होगा। ज्योतिषों के अनुसार एकादशी का व्रत उदया तिथि के अनुसार किया जाता है और मान्यता ये भी है कि जब एकादशी की तिथि दो दिन पड़ रही हो तो ऐसे में गृहस्थ जीवन वालों को पहले दिन ही एकादशी व्रत करना चाहिए। ऐसे में उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर 2023 को ही मान्य होगी।

उत्पन्ना एकादशी 2023 व्रत पारण समय

8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति 9 दिसंबर 2023 को दोपहर 01.15 से दोपहर 03.20 के बीच अपने एकादशी के व्रत का पारण कर लें।

क्यों खास है उत्पन्ना एकादशी ?

मार्गशीर्ष यानि कि अगहन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले एकादशी तिथि को ही माता एकादशी की उत्पत्ति हुई थी। जिस कारण इसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन देवी एकादशी श्री हरि विष्णु के अंश से जन्मीं थी और उन्होंने मुर नाम के राक्षस का संहार किया था। इस एकादशी का व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।