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Vat Savitri Purnima Vrat 2023: कब है वट सावित्री पूर्णिमा व्रत, पति की लंबी आयु के लिए जरूर रखें सुहागिन महिलाएं उपवास

Vat Savitri Purnima Vrat 2023: ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि ( Purnima Vrat 2023) सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। कहा जाता है कि अगर सुहागिन महिलाएं ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि के दिन व्रत करें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है। तो चलिए आपको बताते हैं कब है ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली वट सावित्री पूर्णिमा (Vat Savitri Purnima Vrat 2023), क्या रहेगा शुभ योग और क्या है इसका महत्व…

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, एकादशी, चतुर्थी तिथि का काफी होता है। ठीक इसी तरह हर पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) को भी खास माना जाता है। खासकर ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि ( Purnima Vrat 2023) सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। कहा जाता है कि अगर सुहागिन महिलाएं ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि के दिन व्रत करें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है। तो चलिए आपको बताते हैं कब है ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली वट सावित्री पूर्णिमा (Vat Savitri Purnima Vrat 2023), क्या रहेगा शुभ योग और क्या है इसका महत्व…

Vat Savitri Purnima Vrat 2023

कब है वट सावित्री पूर्णिमा (Vat Savitri Purnima Vrat 2023)

वट सावित्री पूर्णिमा शनिवार, 3 जून 2023 को है

पूर्णिमा तिथि कब शुरू और कब खत्म 

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – जून 3, 2023 को सुबह 11:16 मिनट पर.

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 4 जून 2023 को सुबह 9:11 मिनट पर.

Vat Savitri Purnima Vrat 2023

वट सावित्री पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, वट सावित्री पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त 3 जून को सुबह 7:07 मिनट से 8:51 मिनट तक रहेगा. वहीं, दूसरा शुभ मुहूर्त 3 जून को दोपहर में 12:25 से शाम 5:32 तक रहेगा।

Vat Savitri Purnima Vrat 2023

वट सावित्री पूर्णिमा का महत्व (Vat Savitri Purnima 2023)

वट सावित्री पूर्णिमा पर बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। बरगद का पेड़ सैकड़ों सालों तक जीवित रहता है और महिलाएं भी बरगद की तरह ही अपनी पति की लंबी आयु की कामना करती है। महिलाएं बरगद की तरह ही अपने पति की लंबी आयु और खुशहाली के लिए इस दिन वट सावित्री पूर्णिमा व्रत रखती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महान सावित्री (Savitri) ने मृत्यु के स्वामी भगवान यमराज (Yamraaj) से अपने पति के प्राणों को वापस लाने और उनसे आशीर्वाद पाने के लिए इस व्रत को किया था। सावित्री ने बरगद के पेड़ की पूजा करते हुए वहीं बैठकर तपस्या की थी। इस व्रत को करने से उनके पति के प्राणों की रक्षा हुई थी। तभी से सुहागिन महिलाओं द्वारा वट सावित्री व्रत अपने पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों के आधार पर बनाई गई है। Newsroom Post किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता। किसी भी तरह की जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।