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Dev Uthani Ekadashi 2024: देशभर में कब मनाई जाएगी देवउठावनी एकादशी, पूजा विधि, तिथि, कथा सबकुछ जानिए यहां..

Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी के दिन भक्तों को प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए और फिर घर में गन्ने का मंडप बनाकर चौक पर भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। इसके साथ ही भगवान के चरण चिह्न बनाए जाते हैं जिन्हें ढककर रखना चाहिए। फिर भगवान को गन्ना, सिंगाड़ा, पीले फल और मिठाई अर्पित करनी चाहिए। इसके बाद एक दीपक में घी डालकर उसे रात भर जलने देना चाहिए।

नई दिल्ली। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है, जो इस बार 12 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। यह एकादशी विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की लंबी नींद के बाद जागते हैं। इन्हीं चार महीनों में भगवान विष्णु के सोने के कारण सभी मांगलिक कार्यों पर रोक होती है और इन कार्यों को भगवान के जागने के बाद ही किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और उपवास रखा जाता है। इस दिन को देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है, जो भगवान के जागने का प्रतीक है।

देवउठनी एकादशी का व्रत और मुहूर्त

इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर 2024 को रखा जाएगा, क्योंकि इस दिन उदय तिथि में एकादशी का व्रत रहेगा। एकादशी तिथि 11 नवंबर 2024 को शाम 6:46 बजे से शुरू होगी और 12 नवंबर को शाम 4:04 बजे तक रहेगी। वहीं, देवउठनी एकादशी का पारण 13 नवंबर को सुबह 6:42 बजे से लेकर 8:51 बजे के बीच किया जाएगा। इस दिन उपवास रखने और पूजा करने का विशेष महत्व है, और भक्तों को इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करनी चाहिए।


देवउठनी एकादशी की पूजा विधि

देवउठनी एकादशी के दिन भक्तों को प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए और फिर घर में गन्ने का मंडप बनाकर चौक पर भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। इसके साथ ही भगवान के चरण चिह्न बनाए जाते हैं जिन्हें ढककर रखना चाहिए। फिर भगवान को गन्ना, सिंगाड़ा, पीले फल और मिठाई अर्पित करनी चाहिए। इसके बाद एक दीपक में घी डालकर उसे रात भर जलने देना चाहिए। इस दिन विष्णु पुराण और व्रत कथा सुनने का विशेष महत्व है। भक्त इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हुए उपवास रखते हैं।

देवउठनी एकादशी के नियम

  • देवउठनी एकादशी के दिन कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए:
  • इस दिन केवल निर्जल उपवास रखना चाहिए या फिर जलीय पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।
  • अगर व्रत रखने वाला व्यक्ति वृद्ध, रोगी, बालक या बहुत व्यस्त है, तो वह केवल एक वेला का उपवास रख सकता है।
  • इस दिन चावल और नमक का सेवन नहीं किया जाता।
  • तामसिक आहार जैसे प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा और बासी भोजन का सेवन पूर्ण रूप से वर्जित होता है।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति को प्राथमिकता दी जाती है।


देवउठनी एकादशी की कथा

धर्म ग्रंथों में देवउठनी एकादशी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा मिलती है। यह कथा एक राजा और भगवान विष्णु के बीच हुई परीक्षा से संबंधित है। एक बार भगवान विष्णु ने राजा की परीक्षा लेने के लिए सुंदरी का रूप धारण कर सड़कों पर बैठने का निर्णय लिया। राजा ने सुंदरी से भेंट की और उसकी परेशानी का कारण पूछा। सुंदरी ने बताया कि वह बेसहारा है और राजा से विवाह का प्रस्ताव रखा। राजा ने यह शर्त स्वीकार की कि वह सुंदरी को पूरी तरह से सत्ता देंगे और उसे जो भी खाना बनाएगी, राजा वही खाएंगे।

अगले दिन, एकादशी के दिन, सुंदरी ने आदेश दिया कि राज्य भर में अन्न बेचा जाए और मांसाहार बनाकर राजा को खाने के लिए मजबूर किया जाए। राजा ने जवाब दिया कि वह एकादशी के दिन केवल फलाहार खाएंगे। इस पर सुंदरी ने राजा से शर्त याद दिलाई और धमकी दी कि यदि राजा ने तामसिक भोजन नहीं खाया, तो वह राजकुमार का सिर काट देगी।

राजा ने अपनी समस्या बड़ी महारानी से साझा की। महारानी ने राजा को धर्म पालन करने की सलाह दी और कहा कि वह अपने बेटे का सिर काटने को तैयार हो जाएं। राजा ने धर्म का पालन किया और सुंदरी की बात न मानी। इस पर भगवान विष्णु ने अपने असली रूप में प्रकट होकर राजा को दर्शन दिए और बताया कि वह उसकी परीक्षा ले रहे थे। विष्णु जी ने राजा को आशीर्वाद देते हुए कहा कि वह अब पुण्यलोक में जाएंगे और उनका उद्धार होगा।