newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Nag Panchami 2022: क्यों मनाते हैं नाग पंचमी, क्या है इसकी पौराणिक कथा आइये जानते हैं?

Nag Panchami 2022: इस दिन भक्त नागों को दूध पिलाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पूरे भक्ति भाव से नाग देवता की पूजा करने से मनोवांछित फल तो प्राप्त होते ही हैं, साथ ही कुंडली में मौजूद काल सर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है।

नई दिल्ली। आज सनातन धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक नागपंचमी का पर्व है। हिन्दुओं का ये पर्व नाग देवता को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ये पर्व हर साल सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्त नागों को दूध पिलाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पूरे भक्ति भाव से नाग देवता की पूजा करने से मनोवांछित फल तो प्राप्त होते हैं, साथ ही कुंडली में मौजूद काल सर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन नाग देवता की पूजा करते समय कथा का पाठ करना और सुनना काफी शुभ होता है। तो आइये जानते हैं नागपंचमी की प्रचलित कथा क्या है?

प्रचलित कथा-1

प्राचीन समय में किसी राज्य में एक किसान अपने दो पुत्रों और एक पुत्री के साथ रहता था। एक दिन खेत जोतते समय उसके हल के नीचे आकर नाग के तीन बच्चे मर गए। बच्चों की मौत से दुखी नागिन ने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प किया रात में किसान, उसकी पत्नी और दोनों बेटों को डस लिया। अगले दिन सुबह वो किसान की पुत्री को डसने के लिये किसान के घर पहुंची तो कन्या ने उसके सामने दूध का कटोरा रख दिया। इसके बाद उसने नागिन से क्षमा मांगते हुए उसके परिवार को पुन: जीवित करने का आग्रह किया। ये दिन दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। उस दिन के बाद से हर वर्ष नाग पंचमी का व्रत मनाया जाने लगा।

प्रचलित कथा-2

किसी समय में एक राजा के सात पुत्रों में से छ: पुत्रों को संतान प्राप्त हो चुकी थी, लेकिन सबसे छोटा पुत्र संतानहीन था। इस बात से दंपति समेत पूरा परिवार काफी परेशान था। तभी एक श्रवण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की रात को सबसे छोटी बहु को स्वप्न में पांच नागों ने दर्शन देते हुए कहा कि ‘अरी पुत्री, कल नागपंचमी है, अगर इस दिन तू पूजा करे तो तुझे अवश्य ही संतान की प्राप्त होगी।’ इसके बाद ये बात उसने अपने पति को बताई। अगले दिन दोनों ने स्वप्न के अनुसार, व्रत रखा और नागों का पूजन किया। इसके फलस्वरूप समय आने पर उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हुई।