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Astro Tips: क्यों लगाते हैं मंदिर में परिक्रमा?, जानिए क्या है इसकी सही विधि और वजह?

Astro Tips: परिक्रमा किसी भी ईश्वर की पूजा विधि का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की ही नहीं पीपल, बरगद, तुलसी समेत अन्य कई पवित्र वृक्षों, यज्ञ, नर्मदा, गंगा आदि के चारों ओर परिक्रमा भी की जाती है। क्योंकि सनातन धर्म में प्रकृति को भी ईश्वर का एक रूप माना गया है।

नई दिल्ली। सभी धर्मों में पूजा करने के अलग-अलग नियम और तरीके हैं। लेकिन एक परंपरा जो हर धर्म में पूजा के दौरान निभाई जाती है वो है ‘परिक्रमा’। किसी भी धर्म की पूजा हो परिक्रमा जरूर की जाती है। सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण वैदिक ग्रंथों में से एक ऋग्वेद में ‘प्रदक्षिणा’ या ‘परिक्रमा’ का जिक्र मिलता है। परिक्रमा किसी भी ईश्वर की पूजा विधि का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की ही नहीं पीपल, बरगद, तुलसी समेत अन्य कई पवित्र वृक्षों, यज्ञ, नर्मदा, गंगा आदि के चारों ओर परिक्रमा भी की जाती है। क्योंकि सनातन धर्म में प्रकृति को भी ईश्वर का एक रूप माना गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान की परिक्रमा करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है। लेकिन इसे सही तरीके से करना जरूरी है। तो आइए जानते है परिक्रमा करने की सही विधि क्या है?

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मंदिर और भगवान के आसपास परिक्रमा करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, व्यक्ति के शरीर से ये ऊर्जा उसके घर में भी प्रवेश करती है जिससे सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। मंदिर में परिक्रमा करते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए की परिक्रमा हमेशा क्लॉकवाइज यानी घड़ी की सुई की दिशा में ही करनी चाहिए। इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि परिक्रमा आपको हमेशा भगवान के दाएं हाथ की ओर से ही शुरू करनी चाहिए साथ ही पूजा से संबंधित ईश्वर के मंत्रों का जाप करना भी काफी शुभ माना जाता है।

परिक्रमा का अर्थ

परिक्रमा का संस्कृत शब्द है ‘प्रदक्षिणा’। प्रदक्षिणा का विच्छेद होता है प्रा + दक्षिणा। जिसमें प्रा का अर्थ है ‘आगे बढ़ना’ और दक्षिणा का अर्थ है ‘दक्षिण की दिशा’। अर्थात दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते हुए देवी-देवता की उपासना करना। कहा जाता है कि परिक्रमा के दौरान प्रभु हमारे दाईं ओर गर्भ गृह में विराजमान होते हैं।

किस देवता की कितनी परिक्रमा करें?

गणेशजी- 4

विष्णुजी- 5

मां दुर्गा- 1

सूर्य देव- 7

भगवान शंकर- आधी ( भगवान शिव की मात्र आधी ही परिक्रमा की जाती है, क्योंकि भगवान शिव के जलधारी का उल्लंघन नहीं किया जाता है। जलधारी तक पंहुचने के बाद ही परिक्रमा को पूर्ण मान लिया जाता है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।