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Bhai Dooj 2022: भाई दूज पर बहनें भाइयों को क्यों देती हैं गाली?, जानिए इस प्रथा के पीछे की कहानी

Bhai Dooj 2022: भाईदूज भाई बहन के प्रेम को प्रदर्शित करता त्योहार है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यम देवता की पूजा करने का विधान है। भाईदूज के दिन बहनें अपने भाईयों को रोली एवं अक्षत का तिलक कर उसकी सलामती की दुआ मांगती हैं और बदले में भाई बहन को आशीर्वाद के रूप में उपहार देता है

नई दिल्ली। देश में हर साल कार्तिक मास की अमवस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। पांच दिनों तक चलने वाला ये त्योहार धनतेरस शुरू होकर भाईदूज पर खत्म हो जाता है। भाई दूज भाई बहन के प्रेम को प्रदर्शित करता त्योहार है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यम देवता की पूजा करने का विधान है। भाईदूज के दिन बहनें अपने भाईयों को रोली एवं अक्षत का तिलक कर उसकी सलामती की दुआ मांगती हैं और बदले में भाई बहन को आशीर्वाद के रूप में उपहार देता है।

भाई दूज की पौराणिक कथा

भाई दूज के दिन पवित्र यमुना में नदी में स्नान करना अच्छा माना जाता है। इस बार ये त्योहार 26 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन को लेकर प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने के लिए उनके घर गए थे, जहां यमुना जी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया था। इसके बाद उन्होंने अपनी बहन को वचन देते हुए कहा था कि इसी तिथि पर वो हर साल अपनी बहन के घर भोजन करने आएंगे और जो बहन अपने भाई का तिलक कर उसे भोजन कराएगी उस भाई को दीर्घायु प्राप्त होगी। उसी दिन से भाई-दूज मनाने की परंपरा की शुरूआत हो गई।

भाई दूज पर बहनें भाइयों को देती हैं गाली

इस दिन बहनें बेरी की पूजा करती हैं साथ ही भाइयों के शरीर पर तेल मलकर उन्हें पवित्र नदी में स्नान कराती हैं। इसके अलावा, इस दिन गोधन कूटने की भी परंपरा है। इस त्योहार पर गोबर की मानव मूर्ति बनाकर बहनें उसकी छाती पर ईंट रखकर मूसलों से कूटती हैं। भाईयों को गाली देती हैं और उनके अमंगल की बात कहती हैं। इसके अलावा, वो घर-घर जाकर चना और भटकैया लाती हैं। बाद में अपनी जिव्हा को भटकैया के कांटे से दाग देती हैं, कि उन्होंने अपने भाई को ऐसी बात कही। ऐसा करने के पीछे भी एक मान्यता है जिसके अनुसार, यमराज का सोचना था कि वो मौत लाते हैं इसलिए उन्हें कोई आमंत्रित नहीं करता और यमुना के बुलाने पर भी अपनी व्यस्तता के कारण वो उनके घर नहीं गए।

इससे रुष्ट होकर यमुना जी ने उन्हें गाली दी थी और भला-बुरा कहा था। बाद में जब यमराज उनके घर गए तो बहन की प्रेम-भावना और आवभगत देख कर यमराज प्रसन्न होकर नरकवासियों को मुक्त कर दिया और यमुना जी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि जो बहन अपने भाई का तिलक लगाकर सत्कार करेगी उसे मेरा भय नहीं रहेगा। तभी से भाई-दूज को मनाने की परंपरा शुरू हो गई।