newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Chhath Puja 2022: छठ पूजा को क्यों कहा माना जाता है इतना कठिन व्रत? जानिए इसकी वजह

Chhath Puja 2022: निर्जला व्रत रखने के साथ-साथ इस पर्व में कई नियमों का पालन करना होता है जो काफी कठिन होते हैं। यही कारण है कि इस व्रत को अत्यंत कठिन माना जाता है। तो आइए आपको छठ पूजा की कुछ विशेष बातों के बारे में बताते हैं, जिनकी वजह से उसे इतना कठिन व्रत माना जाता है…

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से कई ऐसे त्योहार हैं जिसमें प्रकृति की पूजा की जाती है। उन्हीं त्योहारों में से एक है छठ पूजा का पर्व, जो पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मौके पर भगवान सूर्य देव और छठी माता की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन महिलाएं 36 घंटों का निर्जला व्रत रखकर अपनी संतान की लंबी उम्र और सलामती के लिए दुआ मांगती हैं। निर्जला व्रत रखने के साथ-साथ इस पर्व में कई नियमों का पालन करना होता है जो काफी कठिन होते हैं। यही कारण है कि इस व्रत को अत्यंत कठिन माना जाता है। तो आइए आपको छठ पूजा की कुछ विशेष बातों के बारे में बताते हैं, जिनकी वजह से उसे इतना कठिन व्रत माना जाता है…

1.छठ पूजा पर महिलाएं 36 घंटों का व्रत रखती हैं।

2.खरना के भोजन के लिए केवल 15 मिनट का समय मिलता है, उसमें भी अगर कहीं से किसी प्रकार की आवाज आ जाए तो भोजन उसी जगह पर रोक दिया जाता है।

3.भोजन के बाद थाली ऐसे स्थान पर धोई जाती है जहां पानी पर किसी का पैर न पड़े।

chhat prasad

4.छठ-पूजा का प्रसाद बनाने में मन कर्म और रसोई के स्थान की शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

5.प्रसाद बनाने वाली स्त्री बिना बात किए भोग बनाती है, ताकि बोलते समय मुंह से निकली थूक की छींटे प्रसाद में न पड़ जाएं।

6.भोग बनाने वाली स्त्री प्रसाद बनाते समय नए कपड़े पहनती है।

7.प्रसाद बनाने के बाद हाथ उसी स्थान पर बाल्टी में धो लिया जाता है और पहने हुए कपड़े वहीं पर छोड़ दें, ताकि उसमें प्रसाद लगकर नाली में न चला जाए।

8.छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय अंगूठी नहीं पहनी जाती है ताकि उसमें फंस कर प्रसाद नाली तक न पहुंच जाए।

9.भोर अर्घ्य का प्रसाद सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद ताजा बनाकर भगवान को चढ़ाया जाता है।

10.छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती महिला जैसे ही पानी से बाहर आती है लोग उनके पैर छूते हैं। साथ ही उनके कपड़े धोकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं।