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Janmashtami 2022: श्रीकृष्ण क्यों कहलाए रणछोड़, जानिए उनकी इस लीला का क्या था संदेश?

Janmashtami 2022: एक बार तो वो रणभूमि भी छोड़कर भाग गए, जिसकी वजह से उनका नाम रणछोड़ पड़ गया। इसी सप्ताह भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। तो आइये इसी खास अवसर पर आपको उस कहानी के बारे में बताते हैं, जिसकी वजह से उन्हें रणछोड़ कहा जाता है।

नई दिल्ली। संसार में धर्म की स्थापना और अत्याचारियों के विनाश के लिए ईश्वर ने समय-समय पर कई अवतार लिए हैं। उन्ही अवतारों में से एक है भगवान विष्षु का श्रीकृष्ण अवतार। श्री कृष्ण ने ये अवतार द्वापर युग में लिया था। इस युग में उन्होंने ऐसी लीलाएं रचीं, जिसमें मनुष्य की हर समस्या का समाधान मौजद है। इसी अवतार में उन्होंने गीता का उपदेश भी दिया, जो जीवन को सरल तरीके से जीने की शिक्षा देती है। संसार को सही युद्ध नीति समझाने के लिए एक बार तो वो रणभूमि भी छोड़कर भाग गए, जिसकी वजह से उनका नाम रणछोड़ पड़ गया। इसी सप्ताह भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। तो आइये इसी खास अवसर पर आपको उस कहानी के बारे में बताते हैं, जिसकी वजह से उन्हें ‘रणछोड़’ कहा जाता है।

पौराणिक कथा-

द्वापर युग में मगध के राजा जरासंध ने भारत के कई राजाओं को युद्ध में पराजित कर उन्हें बंदी बना लिया था। उसकी इच्छा थी कि बंदी राजाओं की संख्या सौ होने पर वो यज्ञ का आयोजन करेगा जिसमें वो पशुओं के स्थान पर राजाओं की बलि देगा। इसी क्रम में उसने श्रीकृष्ण को भी युद्ध के लिए ललकारा था। उसने श्रीकृष्ण के विरुद्ध युद्ध के लिए यवन देश के राजा कालयवन, जिसे भगवान शंकर से अपराजित होने का वरदान मिला था, को भी अपने साथ कर लिया। इसके बाद दोनों ने मिलकर मथुरा पर आक्रमण कर दिया। कृष्ण को ये ज्ञात था कि वरदान के कारण वो कालयवन का कुछ नहीं बिगाड़ सकते, इसलिए वो युद्ध भूमि छोड़ कर भाग गए और एक ऐसी अंधेरी गुफा में जा कर छिप गए, जहां दक्षिण कोसल के राजा मुचकुंद गहरी निद्रा में लीन थे। असुरों के साथ कई दिनों तक चले युद्ध के कारण वो थक गए थे, जिसकी वजह से इंद्रदेव से उन्होंने एक लंबे विघ्नरहित विश्राम का वरदान मांगा था।

वरदान स्वरूप उन्हें ये आशीर्वाद प्राप्त हुआ कि अगर कोई व्यक्ति उनकी नींद में खलल डालेगा तो वो जलकर भस्म हो जाएगा। कालयवन श्रीकृष्ण का पीछा करते हुए गुफा तक पहुंच गया। श्रीकृष्ण ने सोते हुए मुचकुंद पर अपना पीताम्बर डाल दिया। कालयवन ने उन्हें श्रीकृष्ण समझ कर मुचकुंद की नींद भंग कर दी। इसके बाद मुचकुंद के जागते ही वो वहीं जलकर भस्म हो गया। इसी घटना के बाद श्रीकृष्ण को रणछोड़ कहा जाने लगा। दरअसल, अपनी इस लीला से ये संदेश देना चाहते थे, कि युद्ध में अस्त्रों-शस्त्रों के बल पर जीतना ही आवश्यक नहीं होता, बल्कि चतुराई से लड़ा जाने वाला युद्ध भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है।