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Narak Chaturdashi 2022: नरक चतुर्दशी को क्यों जलाते हैं घर में दिया, जाने क्या है दीपदान का महत्व

Narak Chaturdashi 2022: नरक चतुर्दशी में यमराज की उपासना की जाती हैं। कहते हैं इस दिन यमराज की पूजा करने से इंसान अकाल मृत्यु के भय से दूर रहता हैं। नरक चतुर्दशी का अपना अलग महत्व हैं। पंडित के अनुसार नरक चतुर्दश के दिन तर्पण और दीपदान का बड़ा महत्व हैं।

नई दिल्ली। दिवाली के आते ही लोगों के घरों में तैयारीयां शुरू हो चुकी हैं। आज धनतेरस हैं। दिवाली 5 दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार हैं दिवाली। पहले दिन धनतेरस होता हैं दूसरे दिन नरक चतुर्दशी तीसरे दिन दिवाली उसके ठीक एक दिन बाद गोवर्धन पूजा और उसके बाद भाई दूज मनाया जाता हैं। दिवाली के ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी होती हैं। इस बार ये 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी। जिसको नरक चौदस या नरका पूजा के नाम से भी जाना जाता हैं। नरक चतुर्दशी में यमराज की उपासना की जाती हैं। कहते हैं इस दिन यमराज की पूजा करने से इंसान अकाल मृत्यु के भय से दूर रहता हैं। नरक चतुर्दशी का अपना अलग महत्व हैं। पंडित के अनुसार नरक चतुर्दश के दिन तर्पण और दीपदान का बड़ा महत्व हैं।

दीपदान का महत्व

शास्त्रों के मुताबिक, नरक चतुर्दशी पर तर्पण और दीपदान की प्रथा हैं। नरक चतुर्दशी पर सुबह स्नान करने के बाग यमराज की विधि विधान से पूजन करने पर व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होकर स्वर्ग को प्राप्त करता हैं। शाम को समय यम का दीप जलाने का रिवाज हैं। इस दिन यम के नाम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु से बचा जा सकता हैं। नरक चतुर्दश पर तर्पण और दीपदान को लेकर एक पौराणिक कथा भी प्रचलित हैं।

क्यों की जाती है भगवान यमराज की पूजा

ऐसा कहा जाता है कि नरक चतुर्दश वाले दिन जब आपके घर पर सब लोग खाना खा लें। तब शाम के वक्त एक पुराने दिया को लेकर उसमें सरसों का तेल डालकर उसे घर के बाहर रख दें। कहा जाता हैं एक बार एक राजा था जिसने कोई पाप नहीं किया था फिर भी उसकी मृत्यु निकट आ गई तब राजा ने यमराज से कहा हे यमराज मैने जब कोई पाप नही किया तो फिर मुझे नरक क्यों ले जा रहे हैं। तब यमराज ने कहा कि एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था। तब राजा ने यमराज से कहा था कि मुझे एक साल का वक्त दें तब राजा ने बहुत से ब्राह्मणों को खाना खिला कर अपने पाप से मुक्ति पाई और भगवान यमराज की पूजा की।