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Dhanteras 2022: धनतेरस के दिन क्यों होती है मृत्यु के देवता यमराज की पूजा, क्या है दीपदान का महत्व, जानिए सबकुछ

Dhanteras 2022: कहते हैं जिन लोगों के घर में नकारात्मकता का वास होता है उन लोगों को यम की पूजा के साथ ही इस दिन दीपदान भी करना चाहिए। तो चलिए आपको बताते हैं कैसे और क्यों किया जाता है इस दिन यम देवता के लिए दीपदान…

नई दिल्ली। दीपावली के त्योहार को आने में अब कुछ ही दिन शेष है। इस त्योहार से पहले धनतेरस मनाया जाता है। इस दिन (धनतेरस) भगवान धन्वंतरि की पूजा-अर्चना करने का विधान होता है। भगवान धन्वंतरि के साथ ही इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से यम देव की पूजा करता है उसकी कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती। कहते हैं जिन लोगों के घर में नकारात्मकता का वास होता है उन लोगों को यम की पूजा के साथ ही इस दिन दीपदान भी करना चाहिए। तो चलिए आपको बताते हैं कैसे और क्यों किया जाता है इस दिन यम देवता के लिए दीपदान…

यम देवता के लिए किया जाता है दीपदान

जैसा की सभी जानते हैं कि यमराज मृत्यु के देवता है ऐसे में लोग उनसे अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं। जो लोग अकाल मृत्यु से बचना चाहते हैं उन लोगों को धनतेरस के दिन घर के मेन गेट पर 13 और इतने (13) ही दीपक घर  में जलाने चाहिए। इस बात का ख्याल रखें कि जो मुख्य दीपक होगा उसे रात को सोने के दौरान ही जलाना चाहिए। इसके लिए आपको पुराने दीपक का इस्तेमाल करना है। दक्षिण दिशा यम की मानी जाती है ऐसे में जब आप इस दीपक को जलाकर रखें तो इसका मुख दक्षिण दिशा की तरफ ही होना चाहिए। धनतेरस के दिन घर में नकारात्मक उर्जा को दूर करने के लिए दीया भी घूमाना चाहिए।  इन उपायों को करने से आपके यमराज की भी कृपा बनी रहती है साथ ही आपके घर में सुख-शांति रहती है।

क्यों किया जाता है इस दिन दीपदान

धनतेरस के दिन दीपदान किए जाने के पीछे एक मान्यता है। कहा जाता है कि एक बार हेम नाम के एक राजा की पत्नी का जन्म हुआ था तो ज्योतिषियों ने बच्चे की नक्षत्र गणना करके राजा को ये बताया था कि जिस भी दिन इसकी शादी होगी, उसके चौथे दिन ही इसे मृत्यु आ जाएगी। पुत्र की मृत्यु के डर से राजा ने उसे यमुना तट की गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर बड़ा किया। जब एक दिन महाराज हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी तो उनकी नजर राजा हेम के पुत्र पर पड़ती है। राजा हेम के पुत्र से वो इतनी आकर्षित होती हैं कि उनसे गंधर्व विवाह कर लेती हैं।

yamraj

शादी के चार दिनों बाद जैसा की कहा गया कि राजा का मौत के आगोश में चला जाता है। अपने पति की मौत पर महाराज हंस की युवा बेटी खूब रोने लगती है। नवविवाहिता को इस तरह से बिलख-बिलख कर रोते देख यमदूतों का हृदय पसीज जाता है और वो यमराज से पूछते हैं कि महाराज क्या ऐसा कोई उपाय नहीं है जिससे की अकाल मृत्यु से बचा जाए। यम देव इसपर जवाब देते हुए कहते हैं कि अकाल मृत्यु से बचने का एक उपाय है कि धनतेरस के दिन पूजा करने के साथ ही विधिपूर्वक दीपदान भी करें। इससे अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता। यही वजह है कि तभी से धनतेरस पर अकाल मृत्यु से बचने के लिए यमराज के नाम से दीपदान करने की परंपरा चलती आ रही है।