नई दिल्ली। हिन्दुओं के सबसे प्रमुख त्योहार दीपावली की तैयारियां जोरों शोरों पर हैं। इस त्योहार की शुरूआत धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा से हो जाती है। इसके बाद नरक चौदस दिवाली, गोवर्धन पूजा मनाते हुए भाई दूज पर इस त्योहार का समापन हो जाता है। इस बार गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर बुधवार को मनाई जाएगी। लेकिन इस बार इसी दिन सूर्यग्रहण भी लग रहे हैं, जिसकी वजह से गोवर्धन पूजा दिवाली के ठीक दूसरे दिन सिर्फ एक अंतराल तक ही मनाई जाएगी। इस त्योहार को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान गोवर्धन को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा, इस भोग में अन्नकूट की सबजी को जरूर शामिल किया जाता है। तो क्या है इस अन्नकूट की सब्जी का महत्व और गोवर्धन पूजा विधि आइये जानते हैं…
पूजा-विधि (Govardhan Puja Vidhi)
1.गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2.इसके बाद आप ईष्ट देवी-देवता का स्मरण करते हुए उनकी पूजा-अर्चना करें।
3.अब गाय का शुद्ध और ताजा गोबर लाकर भगवान गोवर्धन की आकृति बनाएं। ध्यान रहे इसमें किसी प्रकार की मिट्टी कंकड़ और गंदगी न हो।
4.गोवर्धन भगवान की आकृति शयन मुद्रा में ही बनाएं।
5.भगवान की इस आकृति में नाभि के स्थान पर मिट्टी का बड़ा सा दीपक रखकर उसे दूध, दही, शहद, बताशे और गंगाजल से भर दें।
6.अब गोबर से बने गोवर्धन भगवान की फूलों से सजावट करें।
7.इसके बाद भगवान का ध्यान करते हुए उन्हें नैवेद्य और फल अर्पित करें। इसमें अन्नकूट का भोग जरूर शामिल करें।
8.भगवान के समक्ष दीपक जलाएं।
9.अब भगवान गोवर्धन का स्मरण करते हुए हाथ में गंगाजल का लोटा लेकर उनकी 7 परिक्रमा करें।
10.परिक्रमा के दौरान थोड़ा-थोड़ा गंगाजल भगवान की आकृति के चारों ओर गिराते जाएं और साथ में जौ के बीज भी बोते जाएं।
11.अंत में भगवान की आरती उतारें।
12.इसके बाद भगवान को प्रणाम कर उनकी नाभि में रखे प्रसाद का वितरण करें।
अन्नकूट का महत्व
कहा जाता है कि श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर बृजवासियों भारी वर्षा से रक्षा की थी तो उस दौरान गोवर्धन पर उगने वाली सब्जियां खाकर ही लोगों ने गुजारा किया था। यही कारण है की कई सब्जियों को एक साथ बनाकर अन्नकूट का भोग बनाया जाता है।