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मंगलवार को करें पंचमुखी हनुमान जी की पूजा, होगी असीम कृपा

आज मंगलवार है इस दिन हनुमान जी (Hanuman ji) की पूजा की जाती है। उनकी पूजा करने से सारे संकट मिट जाते है। साथ ही बजरंग बाला बल-बुद्धि भी देते हैं। उन्हें बल-बुद्धि का दाता कहा जाता है। साथ ही उनको कलयुग का देवता भी कहा जाता है। आज के दिन पंचमुखी हनुमान जी की खास पूजा करनी चाहिए।

नई दिल्ली। आज मंगलवार है इस दिन हनुमान जी (Hanuman ji) की पूजा की जाती है। उनकी पूजा करने से सारे संकट मिट जाते है। साथ ही बजरंग बाला बल-बुद्धि भी देते हैं। उन्हें बल-बुद्धि का दाता कहा जाता है। साथ ही उनको कलयुग का देवता भी कहा जाता है। वैसे तो उनके कई रुपों की पूजा की जाती है लेकिन मंगलवार के दिन अगर आप पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करेंगे तो बाबा प्रसन्न होकर आप पर असीम कृपा करेंगे।

पंचमुखी हनुमान जी अपने भक्तों के जीवन से सभी कष्टों का नाश करके उस सुख, बल, बुद्धि और विद्या देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी ने क्यों पंचमुख रुप धारण किया था। इस लेख में हम आपको पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से होने वाले लाभों के बारे में बताएंगे। साथ ही ये भी वजह बताएंगे कि आखिर क्यों उन्होंने पंचमुखी रुप धारण किया था।

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से होगा ये लाभ

— घर में अगर वास्तुदोष हो तो घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति लगाएं। इससे घर का वास्तुदोष खत्म हो जाएगा।

— घर में अगर किसी तरह का मुकादमा चल रहा हो तो उस पर जीत पाने के लिए पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करें। उनके सामने घी का दीपक जलाएं और उनकी पूजा करें। इससे किसी भी तरह के मुकदमे में जीत मिलेगी।

— घर में अगर कोई विद्यार्थी है और उसकी परीक्षा या इंटरव्यू होना है तो उसमें सफलता हालिस करने के लिए पंचमुखी हनुमान की पूजा करें और भोग में उन्हें लड्डू या किसी फल का भोग लगाएं।

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आखिर क्यों हनुमान जी ने पंचमुखी रुप धारण किया

पौराणिक कथा को मुतबाकि, जब भगनाव राम और रावण के बीच युद्ध चल रहा था तब रावण ने हार से बचने के लिए अपने भाई अहिरावण की मदद मांगी। अहिरावण रावण से भी ज्यादा शक्तिशाली था। उसने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके भगवार राम और लक्ष्मण को बंधक बना लिया था और अपने साथ पाताल लोक ले गया था। अपने भगवान को बचाने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी का रुप धारण कर अहिरावण और उसकी सेना का वध किया। ऐसे उन्होंने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को बचाया।