नई दिल्ली। जेष्ठ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को काफी शुभ माना जाता है। ये दिन सुहागिन महिलाओं के लिए खास होता है क्योंकि इस दिन पत्नियां अपने पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री का व्रत रखती है। इस व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है साथ ही महिलाएं बरगद के पेड़ की परिक्रमा करते हुए उस पर कच्चा सूत लपेटते हुए अपने पति की दीर्घायु होने की कामना करती है।
वट सावित्री व्रत को लेकर क्या है मान्यता
वट सावित्री के इस पर्व को लेकर जो कथा प्रचलित है उसके मुताबिक सावित्री ने अपने पति को यमराज से वापस लाने के लिए ये व्रत किया था जिससे उसके पति के प्राणों की रक्षा हुई थी। तभी से इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती है।
इन 3 पेड़ों की पूजा करना होता है शुभ
इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा 3 जून को है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर तीन खास पेड़ों की पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि अगर आप इन तीन पेड़ों की पूजा करते हैं तो आपको अखंड सौभाग्य और धन प्राप्ति होती है। तो चलिए आपको बताते हैं कौन से हैं ये तीन पेड़….
पीपल का पेड़
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि पीपल के पेड़ पर सुबह-सुबह मां लक्ष्मी आती है। ऐसे में अगर जेष्ठ पूर्णिमा के दिन पीपल में सुबह जल चढ़ाया जाए तो इससे धन की देवी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और व्यक्ति को धन लाभ का आशीर्वाद देती है। वही पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाया जाए तो इससे पित्र देव की कृपा मिलती है।
बरगद का पेड़
जेष्ठ पूर्णिमा पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री का व्रत रखती है जिसमें बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। बरगद का पेड़ साधारण नहीं होता है क्योंकि इसमें तीनों देवों ब्रह्मा विष्णु महेश का वास होता है। अगर ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट के वृक्ष में यानी बरगद के पेड़ में 108 बार कच्चा सूत लपेटते है तो इससे ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों का आशीर्वाद मिलता है और महिलाओं के पति की उम्र लंबी होती है।
तुलसी का पेड़
हिंदू धर्म में तुलसी को काफी अहम स्थान दिया गया है। जेष्ठ पूर्णिमा पर तुलसी के पौधे की जड़ से मिट्टी लेकर उसका तिलक लगाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति को अपने हर काम में सफलता मिलती हैं और माता तुलसी के साथ ही भगवान विष्णु भी प्रसन्न होकर भक्तों पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं