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Som Pradosh Vrat 2022: सोम प्रदोष व्रत में इस तरह से पूजा करने पर मिलेगा शिव का आशिर्वाद, जानिए शुभ मुहूर्त

Som Pradosh Vrat 2022: लोग जीवन में सुख और शांति के लिए भी इस व्रत को करते हैं। किसी भी प्रदोष व्रत में शाम के समय भगवान शिव की पूजा का विधान है। आज 5 दिसंबर को सोम प्रदोष व्रत है ऐसे में आपको बताते हैं आपको क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और किस तरह से पूजा करनी है जिससे आपको शिवजी का आशीर्वाद मिलेगा…

नई दिल्ली। हर महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं, पहला कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में… सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) कहा जाता है। कहा जाता है जो भी इस व्रत को रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। खासकर निसंतान दंपत्ति को ये व्रत करने से संतान सुख मिलता है। लोग जीवन में सुख और शांति के लिए भी इस व्रत को करते हैं। किसी भी प्रदोष व्रत में शाम के समय भगवान शिव की पूजा का विधान है। आज 5 दिसंबर को सोम प्रदोष व्रत है ऐसे में आपको बताते हैं आपको क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और किस तरह से पूजा करनी है जिससे आपको शिवजी का आशीर्वाद मिलेगा…

Som Pradosh vrat 2022.

ये है सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Som Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

आज सोमवार, 5 दिसंबर 2022 को सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 05 दिसंबर 2022 को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर शुरू हो चुका है जो कि अगले दिन 06 दिसंबर 2022 को 06 बजकर 47 मिनट पर खत्म होगा।

Som Pradosh vrat 2022..

इस तरह से करें सोम प्रदोष व्रत में पूजा (Som Pradosh vrat 2022 Pujan Vidhi)

  • जो लोग व्रत कर रहे हैं उन्हें सूर्योदय (सूरज उगने से पहले) से पहले उठना चाहिए।
  • इसके बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्रों को धारण करें।
  • अब आप बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल से भोले भंडारी की पूजा-अर्चना करें।
  • ध्यान रखें इस व्रत में भोजन नहीं किया जाता।

Som Pradosh vrat 2022...

  • शाम को सूर्यास्त (सूरज ढलने से पहले) से पहले दोबारा नहा कर सफेद रंग के कपड़े धारण करें।
  • इसके बाद गंगा जल से पूजा करने वाली जगह को शुद्ध करें।
  • गाय का गोबर लेकर उससे मंडप बनाएं और पांच अलग-अलग रंगों की सहायता से मंडप में रंगोली बना लें।
  • पूजा शुरू करने से पहले इस बात का ध्यान करें की आपका मुंह उतर-पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए और कुशा के आसन पर ही बैठें।
  • अब शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए शिव को जल चढ़ाएं।