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Reliance’s Entry In Auto Sector: क्या रिलायंस भी लॉन्च करने जा रही है अपनी कार ? साल के अंत तक मिल सकती है गुड न्यूज
Reliance’s Entry In Auto Sector: भारत और चीन के बीच बीते कुछ वर्षों के दौरान रिश्तों में बड़ी खराबी आई है। इस कड़वाहट का असर दोनों देशों के मध्य व्यापारिक संबंधों पर भी पड़ा है। इसी के चलते चीनी कंपनियों को भारत में संघर्ष करना पड़ रहा है। इस साल भारत सरकार ने बीते साल की तरह कई चीनी एप्लिकेशंस पर प्रतिबंध लगाया था। MG मोटर ने भारत में अपने आने वाले ऑपरेशन्स के लिए अतिरिक्त निवेश के लिए अपनी मूल कंपनी से पैसा एकत्रित करने के संदर्भ में सरकार की स्वीकृति की मांग की है।
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार टेलीकॉम कंपनी रिलायंस अब एक और सेक्टर में अपना लोहा ज़माने की तैयारी में जुटी है। कहा जा रहा है कि रिलायंस जल्द ही ऑटोमोबाइल सेक्टर में अपने भाग्य को आजमाने वाली है। देश में बड़ी बड़ी ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनियों के लिए ये अच्छी खबर नहीं है कि रिलायंस जैसी इतनी बड़ी कंपनी उनके साथ प्रतिस्पर्धा में उतरे। जानकारी के अनुसार इस सेक्टर में रिलायंस अकेली नहीं बल्कि MG के साथ मिलकर एंट्री मारने की तैयारी कर रही है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि हमारे पडोसी देश चीन की SIAC मोटर के मालिकाना हक वाली कंपनी MG मोटर इंडियन मार्केट में अपनी ज्यादातर हिस्सेदारी बेचने की कोशिश में जुटी हुई है। कारण है गुजरे काई सालों के दौरान भारत और चीन के रिश्तों में कड़वाहट आना। इस कड़वाहट का असर इस सेक्टर में भी देखा जा रहा है। जिसके चलते एमजी हेक्टर अपना बोरिया बिस्तर समेटने की तैयारी में जुटी है। लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ रिलायंस ही इस प्रयास में लगी हो क्योंकि इसमें हीरो ग्रुप, प्रेमजी इन्वेस्ट और JSW जैसी बड़ी कंपनियां भी रेस लगा रही हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि यदि ये डील हो जाती है तो भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में बड़ा फेरबदल हो सकता है।
आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच बीते कुछ वर्षों के दौरान रिश्तों में बड़ी खराबी आई है। इस कड़वाहट का असर दोनों देशों के मध्य व्यापारिक संबंधों पर भी पड़ा है। इसी के चलते चीनी कंपनियों को भारत में संघर्ष करना पड़ रहा है। इस साल भारत सरकार ने बीते साल की तरह कई चीनी एप्लिकेशंस पर प्रतिबंध लगाया था। MG मोटर ने भारत में अपने आने वाले ऑपरेशन्स के लिए अतिरिक्त निवेश के लिए अपनी मूल कंपनी से पैसा एकत्रित करने के संदर्भ में सरकार की स्वीकृति की मांग की है।