राहुल गांधी बार—बार जातिगत जनगणना का राग अलाप रहे हैं। अभी हाल ही में एक बार फिर उन्होंने एक्स पर इस संबंध में पोस्ट किया है। राहुल गांधी समाज के पिछड़े वर्ग को आगे लाने के लिए इसकी जरूरत बता रहे हैं। कर्नाटक में उनकी सरकार ने पहले ही जातिगत जनगणना करा रखी है वहां पर किस वर्ग के लिए कांग्रेस ने क्या नीतियां बनाई इसका उल्लेख राहुल गांधी क्यों नहीं करते। उल्लेख कर भी कैसे सकते हैं अभी तक तो उस जातिगत गणना के आंकड़े तक कांग्रेस ने जारी नहीं किए हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के 2013 से 2018 तक के पहले कार्यकाल में ही कर्नाटक में जातिगत जनगणना हो गई थी, अब फिर से कर्नाटक में सिद्धारमैया दूसरी बार मुख्यमंत्री हैं फिर भी वहां के आंकड़े जारी नहीं किए जा रहे। एक तरफ राहुल गांधी जातिगत जनगणना कराकर सुप्रीम कोर्ट की 50% आरक्षण की सीमा को हटाने की बात करते हैं दूसरी तरफ उनकी ही सरकार जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी नहीं करती क्यों ?
दरअसल, राहुल गांधी जातिगत जनगणना की बात कहकर जिस थ्योरी पर काम कर रहे हैं वैसा ही जातिगत वैमनस्य वामपंथी आज तक फैलाते आए हैं। राहुल गांधी विदेशों में जाकर भी इस मुद्दे को उठाते हैं, विभिन्न मंचों से इस बारे में बोल चुके हैं। वह जिस पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी को बढ़ाने की बात करते हैं इसकी कांग्रेस को कितनी फिक्र रही है इसके लिए उन्हें अपने इतिहास में झांकने की जरूरत है।
1951 में जातिगत जनगणना को लेकर चर्चा हुई थी तब पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने इस मांग को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया था। राहुल गांधी की दादी और देश की प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने 1980 में चुनावों के दौरान नारा दिया था कि ‘ना जात पर,न पात पर, मुहर लगेगी हाथ पर’। कांग्रेस कभी नहीं चाहती थी कि जातिगत जनगणना हो।
पिछड़ों के लिए मंडल कमीशन की रिपोर्ट को राजीव गांधी लगातार नजरअंदाज करते रहे थे। जब वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू किया तब राजीव गांधी ने इसे देश को जाति के आधार पर बांटने की कोशिश करार दिया था। अब क्या राहुल गांधी देश को जातियों में बांटने की कोशिश नहीं कर रहे हैं?
राहुल गांधी बताएं, यदि कांग्रेस इतनी ही ‘जिसकी जितनी साझेदारी, उसकी उतनी भागीदारी’ की बात करने वाली थी तो अतीत में जातिगत जनगणना का विरोध क्यों करती रही? 2010 में जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तब भी जातिगत जनगणना कराए जाने को लेकर चर्चा हुई थी। इसके लिए तब मंत्रियों का एक समूह भी बनाया गया था था। इसमें प्रणब मुखर्जी भी शामिल थे। जातिगत जनगणना कराए जाने को लेकर तब भी कोई फैसला नहीं लिया गया था, क्योंकि मंत्रिमंडल की इस मुद्दे पर एक जैसी राय नहीं थी। कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं में इस विषय पर मतभेद थे।
राहुल गांधी बार—बार जो जातिगत जनगणना की बात करते हैं तो सिर्फ इसलिए कि जनता द्वारा नकारी जा चुकी कांग्रेस की स्थिति कुछ सुधर सके। वह सिर्फ लोगों को बरगलाने के लिए कोरा झूठ बोलते हैं। यदि इतना ही जीवट कांग्रेस में होता तो जिस तरह से बिहार में नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना कराने के बाद उसके आंकड़े जारी किए थे उसी तरह कांग्रेस को भी कर्नाटक के आंकड़े जारी कर देने चाहिए थे। राहुल गांधी जिस तरह जातिगत जनगणना कराए जाने को मुद्दा बनाकर भाजपा पर निशाना साध रहे हैं, वह कुछ और नहीं बस दिखावा भर है।
कांग्रेस सत्ता पाने के लिए सिर्फ और सिर्फ वादे करती आई है। जब उन वादों को पूरा करने की बात आती है तो कांग्रेस गोलमोल कर जाती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे खुद बोल चुके हैं कि वादे वो करें जो पूरा किए जा सकें। जातिगत जनगणना कराने की बात राहुल गांधी सिर्फ अपने चुनावी फायदे के लिए कर रहे हैं। बार—बार जातिगत जनगणना कराए जाने की बात करना जातिगत वैमनस्य फैलाने जैसा है। जातिगत जनगणना के नाम पर हर वर्ग के हिसाब से नीतियां बनाने की बात कहकर राहुल गांधी सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेक कर जनता में भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं।
जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस में भी एकमत नहीं रहा। कुछ महीनों पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने जातिगत जनगणना कराने की बात पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने जातिगत जनगणना कराए जाने को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की विरासत के खिलाफ बताया था। कांग्रेस में राहुल अकेले हैं जो बार—बार जातिगत जनगणना का शिगूफा छोड़ते हैं, उनके अलावा कांग्रेस में कोई और नहीं है जो बार—बार इस मुद्दे को उठा रहा हो।
राहुल गांधी का का देशभर में जातिगत जनगणना कराए जाने की बात कहना और सीधे पर चुनौती देना कि हम इसी संसद में जातिगत जनगणना को पास करके दिखाएंगे और सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित आरक्षण की सीमा की 50% की दीवार को तोड़ देंगे, यह सिर्फ और सिर्फ भ्रम फैलाने के लिए है। राहुल गांधी का उद्देश्य है कि वह इस मुद्दे को हवा देते रहें ताकि जाति के नाम पर हिन्दू वोटों का बिखराव हो और कांग्रेस की देश के तमाम राज्यों में जो दुर्गति हो चुकी है उसकी किसी भी तरह से क्षतिपूर्ति की जा सके।
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।