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छात्रों की अनदेखी और शिक्षा माफिया पर लगाम लगाने में असमर्थता कहीं भाजपा के लिए भारी न पड़ जाए !

नीट परीक्षा में गड़बड़ी के मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में चल रही है साथ ही अन्य प्रवेश परीक्षाओं के परिणाम भी लेट होने और उनमें गड़बड़ी की आशंका लगातार जताई जा रही है जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।

परीक्षाओं में गड़बड़ी होना और शैक्षणिक सत्र का देर से शुरू होना छात्रों के हित में नहीं है। कई जगहों पर छात्र प्रदर्शन कर चुके हैं। छात्रों में रोष भी है। कहीं ऐसा न हो कि छात्रों का यह विरोध भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन जाए। भाजपा को इतिहास में जाकर देखने की जरूरत है जब जेपी आंदोलन को धार देने में छात्रों की बड़ी भूमिका थी और इस आंदोलन ने कांग्रेस को सत्ता के गलियारे से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। कहीं ऐसा न हो कि आक्रोशित छात्र भाजपा सरकार को भी बाहर का रास्ता न दिखा दे, क्योंकि देश का युवा ही किसी भी सरकार को सत्ता में लेकर आता है, ऐसे में परीक्षा में हो रही गड़बड़ियों को रोकने और परीक्षा परिणामों को सही समय पर जारी किए जाने की जरूरत है, ताकि शैक्षणिक सत्र समय पर चलते रहें और किसी भी छात्र की मेहनत पर पानी न फिरने पाए।

नीट परीक्षा में गड़बड़ी का मामला सुर्खियों में है। सर्वोच्च न्यायालय में यह मामला पहुंच चुका है। आरोपों और प्रत्यारोपों का दौर जारी है, लेकिन इसका खामियाजा भुगत रहे हैं छात्र। बहरहाल नीट परीक्षा से इतर भी बात करें तो अन्य प्रवेश परीक्षाओं के परिणाम भी लेट होने और उनमें गड़बड़ी की आशंका लगातार जताई जा रही है। इसके चलते न केवल परीक्षा परिणाम लेट हो रहे हैं बल्कि छात्रों के शैक्षणिक सत्र भी लेट शुरू होने की बात कही जा रही है। यह एक बड़ी चुनौती है जिससे पार पाने का कोई भी तरीका बनाने में अभी तक केंद्र सरकार नाकाम रही है।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को सीयूईटी में गड़बड़ी की शिकायतों के बाद 1000 परीक्षार्थियों के लिए 19 जुलाई को दोबारा परीक्षा करवानी पड़ी। इस वर्ष 14 लाख छात्रों ने देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए सीयूईटी परीक्षा दी है। सीयूईटी यूजी रिजल्ट में देरी के चलते विश्वविद्यालयों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने में देर हो रही है। पहले चुनावों के चलते और अब एनटीए द्वारा बरती जा रही ढिलाई के चलते अभी तक परीक्षा परिणाम जारी नहीं हो सका है। पहले 30 जून तक सीईयूटी का परीक्षा परिणाम जारी होना था जो अब तक नहीं हो पाया है।

कहा जा रहा है कि अगस्त के पहले या दूसरे सप्ताह तक परिणाम घोषित होंगे। जाहिर है परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद दाखिले की प्रक्रिया में भी एक महीने से ज्यादा का समय लगता है। ऐसे में सितम्बर के दूसरे सप्ताह तक जाकर शैक्षणिक सत्र शुरू होगा। यदि इस व्यवस्था को सुचारू नहीं किया गया तो आगे फिर परीक्षा परिणाम भी देरी से आएंगे।

हर साल शिक्षा मंत्रालय द्वारा टॉप कॉलेजों और यूनिवर्सिटी की एनआईआरएफ रैंकिंग जारी की जाती है। इस साल अभी तक यह जारी नहीं हो पाई है। जबकि पिछले साल यह सूची पांच जून को जारी कर दी गई थी। लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इसे आगे बढ़ाया गया था। लोकसभा चुनाव भी खत्म हो चुके हैं, सरकार भी बन चुकी है बावजूद इसके अभी तक यह सूची जारी नहीं हो पाई है।

26 सितंबर, 1985 को शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया था। इसके बाद 2020 में फिर से इसका नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया। नाम तो बदल दिया गया लेकिन यह किसी काम नहीं आया। नई एजुकेशन पॉलिसी पर चार साल पहले कैबिनेट की मुहर लगाए जाने के बाद भी अभी तक इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका है।

दरअसल शिक्षा मंत्रालय अभी तक कोई ऐसी प्रभावी रणनीति नहीं बना पाया है जिससे परीक्षा में होने वाली धांधली और देरी को रोका जा सके। वहीं उच्च शिक्षा में प्रोफसरों की भी काफी कमी है। यूजीसी के आंकड़ों के हिसाब से देश के विश्वविद्यालयों में कुल स्वीकृत शिक्षण पदों में से प्रोफेसर के 35 प्रतिशत पद, एसोसिएट प्रोफेसर 46 प्रतिशत पद और सहायक प्रोफेसर के 26 प्रतिशत पद रिक्त हैं। परीक्षाएं कराने वाली विभिन्न एजेंसियों में भी काफी पद रिक्त हैं। ऐसे में परीक्षाओं में धांधली रोक पाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। इन मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार को तत्काल कोई प्रभावी रणनीति बनाए जाने की जरूरत है।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।