Coronavirus: अरविंद केजरीवाल के हिस्से का पाप पीएम मोदी के सिर मढ़ रहा है अंतरराष्ट्रीय मीडिया

Coronavirus: दिल्ली के श्मशानों में जलती चिताओं का सीधा कनेक्शन उन अस्पतालों से है जो दिल्ली सरकार के दायरे में आते हैं। इन अस्पतालों में बेहिसाब मौते हो रही हैं। इसकी सीधी सी वजह केजरीवाल सरकार की भयानक असफलता और अस्पतालों में बेसिक सुविधाओं का अभाव है। मगर अंतराष्ट्रीय मीडिया दिल्ली के इन अस्पतालों में फैली हुई भयानक अव्यवस्था और बदइंतजामी का ठीकरा मोदी के सिर पर फोड़ रहा है।

Avatar Written by: April 29, 2021 4:47 pm
PM Modi and Kejriwal

अंतराष्ट्रीय मीडिया भारत के कोविड संकट को भी आदतन मोदी विरोध के चश्मे से देख रहा है। हैरानी की बात ये है कि बड़े-बड़े अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों के इन लेखकों को बेसिक फैक्ट की न तो जानकारी है और न ही समझ। दिल्ली के श्मशानों में जलती चिताओं का सीधा कनेक्शन उन अस्पतालों से है जो दिल्ली सरकार के दायरे में आते हैं। इन अस्पतालों में बेहिसाब मौते हो रही हैं। इसकी सीधी सी वजह केजरीवाल सरकार की भयानक असफलता और अस्पतालों में बेसिक सुविधाओं का अभाव है। मगर अंतराष्ट्रीय मीडिया दिल्ली के इन अस्पतालों में फैली हुई भयानक अव्यवस्था और बदइंतजामी का ठीकरा मोदी के सिर पर फोड़ रहा है।

ICU bed

इन अंतराष्ट्रीय मैगजीनों का पीएम मोदी के विरोध का पुराना इतिहास है। पीएम मोदी को “डिवाइडर इन चीफ” लिखने वाली टाइम्स मैगजीन ने अपने लेख में एक बार फिर से पुराने जहर को नई शक्ल में उतार दिया है। टाइम्स में दिल्ली के श्मशानों की तस्वीर छापी गई है और इसे पीएम मोदी के भीड़ प्रेम से जोड़ा गया है। ये हाल तब है जबकि दिल्ली में न तो कोई रैली आयोजित की गई, न ही राजनीतिक कार्यक्रम। श्मशान में जल रही चिताएं दिल्ली सरकार के अस्पतालों की भयावह तस्वीर की जीती जागती बानगी हैं। मगर टाइम मैगजीन को इस तथ्य को जांचने की न तो फुर्सत है और न ही मंशा। टाइम्स का लेख मोदी सरकार के विरोध के जहर से लिखा गया है, इसका एक बड़ा सबूत लिखने वाले का नाम है। ये लेख राणा अय्यूब नाम की महिला ने लिखा है जो इससे पहले भी मोदी के खिलाफ गुजरात फाइल्स के नाम पर झूठ का पुलिंदा छाप चुकी है, जिसके तथ्यों को खुद देश की सर्वोच्च अदालत नकार चुकी है। राणा अय्यूब के लेखों की प्रमाणिकता पर उसके पूर्व संपादक और तहलका के मुखिया तरूण तेजपाल और संपादक शोमा चौधरी भी सवाल खड़े कर चुके हैं।

PM modi kejriwal

द ऑस्ट्रेलियन ने दिल्ली के श्मशानों में जलती चिताओं की इस त्रासदी को पीएम मोदी के एरोगेंस यानि अहंकार और हाइपर नेशनलिज्म यानि उग्र राष्ट्रवाद से जोड़ दिया है। यानि एक महामारी को जानबूझकर एक वैचारिक अवधारणा से जोड़ा गया है ताकि पीएम को टारगेट किया जा सके। ये अंतराष्ट्रीय पब्लिकेशन दिल्ली में आक्सीजन की कमी का ठीकरा भी मोदी के सिर पर मढ़ रहे हैं जबकि सच्चाई ये है कि केन्द्र सरकार ने दिसंबर 2020 में दिल्ली में आठ आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए धन मुहैया करवाया था, लेकिन केजरीवाल सिर्फ एक प्लांट ही लगा पाई और बाकी के रुपये उन्होंने विज्ञापनों में फूंक दिए। आरटीआई से मिले जवाब के मुताबिक केजरीवाल सरकार ने इस साल जनवरी से मार्च तक 150 करोड़ से अधिक रुपए विज्ञापनों पर खर्च किए हैं। इस तरह से केजरीवाल प्रति दिन विज्ञापन पर 1.67 करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं। मगर किसी भी अंतराष्ट्रीय मीडिया ने कोरोना काल में केजरीवाल सरकार के इस भयानक अपराध पर नजर नही डाली।

PM Modi and Arvind Kejriwal

जापान टाइम्स भारत के इस कोविड संकट में पीएम मोदी को टारगेट करने के लिए इसे हिंदू नेशनलिज्म से जोड़ रहा है। उसे मोदी की अगुवाई में हिंदू राष्ट्रवाद के उभार की प्राथमिकता से शिकायत है। द गार्जियन के मुताबिक अस्पतालों में आक्सीजन खत्म है और मुर्दाघर में शवों की भरमार हो चली है। ये सारे ही विदेशी पब्लिकेशन दिल्ली को अपनी कवरेज का सेंटर बनाए हुए हैं। मगर इनके कवरेज में कहीं भी इस बात का जिक्र नही है कि दिल्ली की कमान अरविंद केजरीवाल के हाथों में है। उदाहरण के लिए बीबीसी अपनी रिपोर्ट में लिखता है- “दिल्ली स्थित जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण शुक्रवार रात 20 कोविड मरीज़ों की मौत हो गई। एलएनजेपी जैसे सरकारी से लेकर सरोज और फोर्टिस जैसे प्राइवेट अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। कुछ बेबस अस्पतालों ने हाई कोर्ट का भी रुख़ किया है।” उसके इस लेख की हेडलाइन कहती है कि कोविड- ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में मोदी सरकार क्यों सफल नही हो पा रही? यानि कंटेंट में केजरीवाल सरकार के अस्पतालों की दुर्दशा का जिक्र और हेडलाइन में पीएम मोदी से सवाल।

वाशिंगटन पोस्ट की स्टोरी में राज्यों के भीतर वैक्सीन की कमी का जिक्र किया गया है। मगर इसका न कोई आंकड़ा है और न कोई सोर्स। बड़ी बात है कि इसका भी जिम्मेदार पीएम मोदी को ठहराया गया है जबकि स्थिति यह है कि राज्यों ने अभी तक अपने कोटे की वैक्सीन लगाई ही नहीं है। वो अभी भी बिना इस्तेमाल की पड़ी है। अरब न्यूज ने अपनी खबर में दिल्ली मे आक्सीजन की कमी और बेडों की मारामारी की जिक्र करते हुए अरविंद केजरीवाल का बयान छापा है, जिसमें केजरीवाल ने मोदी सरकार से अधिक अस्पताल बेड्स की मांग की है। मगर किसी भी अंतराष्ट्रीय मीडिया ने केजरीवाल के उस दावे को छापने की जरूरत नहीं समझी जिसमें उन्होंने दिल्ली में 5000 बेड्स खाली होने का दावा किया था। यानि जानबूझकर केजरीवाल सरकार की असफलता और कमजोरियों को मोदी सरकार के मत्थे मढ़ा जा रहा है। अंतराष्ट्रीय मीडिया का एक पूरा का पूरा गिरोह इस काम को अंजाम देने में लगा हुआ है।।