कहावत है जैसा बोओगे वैसा ही काटना पड़ेगा। राहुल गांधी को लेकर रवनीत सिंह बिट्टू के बयान पर कांग्रेस के बयानवीर नेताओं ने आसमान सिर पर उठा लिया है। वे लगातार इस बयान को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि यह सिर्फ एक नेता का निजी बयान है। हो सकता है बयान में कुछ आपत्तिजनक रहा भी हो लेकिन राहुल गांधी की तरफदारी कर रहे तमाम कांग्रेसी नेताओं को पहले अपने गिरेबान में झांककर देख लेना चाहिए कि वह आज तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए किस तरह की अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते रहे हैं। उन्हें सार्वजनिक तौर पर गालियां तक देते रहे हैं। ऐसी सोच रखने वाली कांग्रेस को इस तरह के बयान पर इतना हो हल्ला मचाने से पहले अपने घर में भी देखने की जरूरत है।
राहुल गांधी को लेकर भाजपा के एक नेता ने बयान क्या दे दिया कि कांग्रेस के खेमे में खलबली मची हुई है। तमाम कांग्रेसी हलक फाड़कर चिल्ला रहे हैं। मामला दर्ज करने के लिए शिकायतें दी जा रही हैं। राहुल गांधी के नाम पर इतना हो हल्ला मचाने वाले कांग्रेसी भूल जाते हैं कि भाषा की मर्यादा हमेशा से कांग्रेस के नेता ही खोते आए हैं। विशेषकर देश के सर्वमान्य नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कांग्रेसी नेताओं ने जितना जहर उगला है उतना शायद ही किसी नेता के लिए कभी उगला गया हो। ऐसा इसलिए कि कांग्रेस कभी तथ्यों को लेकर सत्ता पक्ष को नहीं घेर पाई क्योंकि देश में सत्ता में रहने का लंबा इतिहास तो कांग्रेस का ही रहा है। कांग्रेस के पास बोलने के लिए कभी कुछ था ही नहीं, इसके चलते कांग्रेसी नेताओं ने हमेशा निजी तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया। उन पर पिछले दस वर्षों से लगातार निजी हमले किए जाते रहे।
क्या कांग्रेस भूल गई कि राहुल गांधी की बहन प्रियंका वाड्रा का पिछले लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान का एक वायरल वीडियो आज भी इंटरनेट पर मौजूद है जिसमें मासूम बच्चों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली दिलवाई गई थी और प्रियंका वहां खड़ी मुस्कुरा रही थीं। क्या कांग्रेस भूल गई कि उसके वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘नीच आदमी’ कहा था। कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा था कि प्रधानमंत्री एक अस्वस्थ मानसिकता से गुजर रहे हैं, तब तो कांग्रेस के किसी नेता ने इस पर विरोध नहीं जताया। प्रधानमंत्री रहते हुए उनके लिए किस—किस तरह की शब्दावली प्रयोग की गई इसका कोई जवाब है कांग्रेस के पास? प्रधानमंत्री देश का होता है किसी पार्टी का नहीं लेकिन कांग्रेस शायद ऐसा नहीं मानती। खुद राहुल गांधी ने दिल्ली में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री के लिए कहा था कि ”इस मोदी को लोग डंडा मारेंगे” तब भी प्रधानमंत्री ने शालीनता से जवाब देते हुए कहा था, ” मैं सूर्य नमस्कार की संख्या बढ़ाकर अपनी पीठ को और मजबूत कर लूंगा। ताकि डंडे का प्रहार सह सकूं।
दरअसल कांग्रेस इतने लंबे समय तक कभी सत्ता से बाहर नहीं रही। इसलिए उसके तमाम नेता बौखलाए हुए हैं और पिछले दस वर्षों से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान पर अपमान करते आ रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के दिन उनके लिए अर्मयादित शब्दों का प्रयोग किया था। सहारनपुर से कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बोटी—बोटी करने की बात कही थी। सोनिया गांधी ने उन्हें जहर की खेती करने वाला कहा था, मौत का सौदागर बताया था। मणिशंकर अय्यर ने उनके लिए सांप, बिच्छू और नीच आदमी जैसे शब्दों का प्रयोग किया था। गुजरात के एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने उनको रैबीज से पीड़ित बताया था।
ये महज कुछ उदाहरण हैं। बार—बार संविधान बचाने की बात करने वाली कांग्रेस के नेताओं के बयानों और अर्मयादित शब्दों के प्रयोग करने की फेहरिस्त बहुत लंबी है। कांग्रेस के नेताओं की भाषा के स्तर पर जाकर जवाब देना संभवत: राजनीतिक शुचिता रखने वाले किसी भी नेता के लिए संभव न हो, लेकिन कांग्रेस को यह पता होना चाहिए कि भाषा की मर्यादा पहले ही उसके नेता खो चुके हैं। ऐसे में यदि कोई बयान उनके नेता के लिए आ भी जाता है तो कांग्रेस को पहले अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए। कांग्रेस पहले अपने नेताओं के आज तक के बयानों पर सफाई दे और फिर इस बारे में बात करे तो समझ आता है, लेकिन कांग्रेस तो हमेशा से अपने नेताओं के अमर्यादित बयानों को निजी बयान बताकर उनसे किनारा कर लेती है। ऐसे में यदि उनके नेता के बारे में कोई बयान आ गया और कांग्रेस का डंडा कांग्रेस के सिर ही बजने लगा तो कांग्रेसियों को इतनी मिर्ची क्यों लग रही है ?
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।