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लोकसभा चुनाव: मुद्दाहीन विपक्ष, कैसे मांगेगा वोट

Lok Sabha elections: राहुल गांधी ने राफेल विमानों के मुद्दे को लेकर पिछली बार हर तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया और भाजपा को घेरने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सके। यहां तक कि उन्हें ” चौकीदार चोर है” कहने पर सर्वोच्च न्यायालय में माफी भी मांगनी पड़ी। अडानी हिंडनबर्ग मामले में जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी तो संसद में राहुल गांधी ने बड़े-शोर से भाषण दिया था।

नई दिल्ली। किसी भी दिन लोकसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है। भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हो चुकी है। कांग्रेस ने भी अपनी पहली सूची जारी कर दी है। पिछले एक दशक से देश में भाजपा की सरकार है। वह भी पूर्ण बहुमत से। इस बार 400 पार का लक्ष्य लेकर भाजपा मैदान में है। जाहिर बात है चुनाव हैं तो विपक्षी दल तमाम मुद्दों को लेकर दस वर्षों से केंद्र में शासित भाजपा और पीएम मोदी को घेरने के लिए पूरी ताकत लगाएंगे और लगा भी रहे हैं, लेकिन यदि वास्तविकता की बात करें तो वर्तमान में ऐसा कोई बड़ा मुद्दा कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों के पास हैं ही नहीं जिसको लेकर भाजपा को घेरा जा सके और प्रधानमंत्री मोदी के विजन और उनकी सरकार की नीतियों को कटघरे में खड़ा किया जा सके।

 

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राहुल गांधी ने राफेल विमानों के मुद्दे को लेकर पिछली बार हर तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया और भाजपा को घेरने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सके। यहां तक कि उन्हें ” चौकीदार चोर है” कहने पर सर्वोच्च न्यायालय में माफी भी मांगनी पड़ी। अडानी हिंडनबर्ग मामले में जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी तो संसद में राहुल गांधी ने बड़े-शोर से भाषण दिया था। तब कांग्रेस को और विपक्ष को कुछ उम्मीद भी बंधी थी कि शायद इस मुद्दे को लेकर भाजपा को घेरा जा सकता है, लेकिन इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आ चुका है। उस समय सर्वोच्च न्यायालय ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर संदेह जताते हुए टिप्पणी भी थी कि स्वतंत्र रूप से ऐसे आरोपों की पुष्टि नहीं की जा सकती, इन्हें सही जानकारी नहीं माना जा सकता है। ऐसे में यह मुद्दा भी तभी धाराशायी हो गया था, जाहिर बात है चुनाव में यह मुद्दा कांग्रेस के किसी काम नहीं आ सकता।

अब से 10 साल पहले की बात करें जब सोशल मीडिया पर लोग इतने सक्रिय नहीं थे, अखबारों और टीवी चैनलों के माध्यम से जो लोगों को पता चलता था, वह देश में काफी हद तक एक आम आदमी की राय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था, लेकिन 2014 के बाद से काफी कुछ बदला है। आमजन के पास सस्ते दामों में इंटरनेट की सुविधा है। ऐसे में लोगों के लिए जानकारी पाना सुलभ हो गया है। फिर चाहे वह भारत का ग्रामीण क्षेत्र ही क्यों न हो। कुल-मिलाकर आसानी से अब लोगों का बहलाया नहीं जा सकता। यदि किसी विषय को लेकर कोई प्रोपेगेंडा करना भी चाहे तो वह इतना आसान नहीं है, क्योंकि कहीं न कहीं से सही जानकारी व्यक्ति को मिल ही जाएगी। सही मायनों में देखा जाए तो कांग्रेस और विपक्ष के पास ऐसा कोई मुद्दा बचा ही नहीं है जिसको लेकर वह भाजपा को घेरने में कामयाब हो जाए।

 

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पिछले एक दशक में भारत लगभग हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है। हाल ही में ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म ” जेफरीज” ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इंडिया की जीडीपी 3.6 ट्रिलियन डॉलर की हो गई है। जीडीपी 7 प्रतिशत ग्रोथ के साथ अगले चार साल में यानी 2027 में 5 ट्रिलियन डॉलर की होने की उम्मीद है। इस लिहाज से 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश होगा। ऐसा होते ही भारत अर्थव्यवस्था के मामले में 2027 तक जर्मनी और जापान को पछाड़ देगा।

पिछले एक दशक में भारत ने अंतरिक्ष से लेकर पुल, टनल, सड़क, एयरपोर्ट, रेलवे, पोर्ट, कृषि और मेडिकल क्षेत्र सहित हर स्तर पर तरक्की की है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की छलांग की बात करें तो चंद्रयान 3 और आदित्य एल 1 की सफलता के बाद हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले मानव युक्त गगनयान मिशन के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की है। इन नामों में ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप, विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं। अंतरिक्ष अभियानों के बजट की बात करें तो, भारत के अंतरिक्ष अभियानों का बजट पिछले 10 साल में दोगुना हुआ है। जहां वित्त वर्ष 2013-14 में यह 6792 करोड़ था । वहीं वित्त वर्ष 2023-24 के लिए यह 12,544 करोड़ रुपए है।

 

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भारत लगातार विकास की सीढ़ियां चढ़ता जा रहा है। पिछले पांच वर्षों के दौरान विदेशों से भारत में आने वाले धन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसमें बाहर रहने वाले प्रवासियों का बड़ा योगदान है। हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने एक शोध किया था, इस शोध के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 के बाद ग्रामीण गरीबी में 440 आधार अंकों की कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 2011-12 के 25.7 प्रतिशत के मुकाबले घटकर अब 7.2 प्रतिशत रह गई है। वहीं शहरी क्षेत्रों में गरीबी 2011-12 के 13.7 फीसदी के मुकाबले घटकर 4.6 प्रतिशत रह गई है। यह वर्तमान सरकार द्वारा किए गए सकारात्मक प्रयासों के चलते ही संभव हो पाया है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2019 के बाद से अभी तक 13.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं।

कृषि की बात करें तो भारत वर्तमान में 301 मिलियन टन खादान्नों का उत्पन्न कर रहा है। केवल गेंहू की ही बात करें तो एक समय भारत को अमेरिका से गेंहू आयात करना पड़ता था, लेकिन आज की स्थिति बिल्कुल भिन्न है। 2013-14 में गेंहू का उत्पादन 94 मिलियन टन था जो अभी 108 मिलियन टन हैं।

 

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हायर एजुकेश के क्षेत्र में देश में खूब तरक्की हुई है। पिछले दस वर्षों में देश में 400 नए विश्वविद्यालय, सात नई आईआईटी और सात नए आईआईएम स्थापित किए हैं। 2014 तक देश में 380 मेडिकल कॉलेज थे। वहीं मोदी सरकार के दस सालों के कार्यकाल में ही देश में 300 मेडिकल कॉलेज बना दिए गए हैं।

रक्षा क्षेत्र की बात करें तो इस क्षेत्र में भी भारत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। विदेशों से रक्षा उत्पाद खरीदने वाला भारत अब रक्षा उत्पादों को निर्यात भी कर रहा है। इस वित्त वर्ष में भारत का रक्षा निर्यात कुल 16 हजार करोड़ रुपए का हो गया है। जबकि 2013-14 में भारत का रक्षा निर्यात मात्र 686 करोड़ रुपए ही था। डिजिटलीकरण की बात करें तो दुनिया भर में सबसे अधिक डिजिटल लेनदेन भारत में ही होता है। वर्ष 2013-14 में लगभग 127 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए थे, जो 2022-23 में लगभग 100 गुना बढ़कर 12,735 करोड़ हो गए हैं।

 

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यदि रोड नेटवर्क की बात करें, तो भारत ने पिछले एक दशक में अपने सड़कों के नेटवर्क को 60 प्रतिशत तक बढ़ाया है। इस लिहाज से भारत ने चीन के रोड नेटवर्क को पीछे छोड़ दिया है। अभी अमेरिका के रोड नेटवर्क को पीछे छोड़ना बाकी है। 2023 के बजट में 2700 अरब रुपए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को आवंटित किए हैं। ताकि रोड नेटवर्क को और बेहतर बनाया जा सके और विकास सूदूर क्षेत्रों तक भी पहुंच सके।

बहरहाल लोकसभा चुनावों की बात करें तो विपक्ष के पास कोई ऐसा बड़ा मुद्दा नजर नहीं आता जिसके आधार पर वह जनता के बीच में जाकर वोट मांग सके। सबको, सब दिखाई देता है। कुल मिलाकर वर्तमान विपक्ष को मुद्दा विहीन विपक्ष कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं।