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Rajasthan: ऑर्गेनिक डेयरी फार्म में दूध, बिलोने का घी, खाद से शानदार कमाई के साथ गोबर गैस से प्लांट की बिजली भी बिलकुल मुफ्त,7 करोड़ के पार पंहुचा 31 वर्षीय अमन का टर्न ओवर

Rajasthan: कोटा के युवा इंजीनियर अमन ने तकनीकी क्रॉप खेती के साथ-साथ पशु खेती से खुद का ‘गऊ ऑर्गेनिक’ नाम से स्टार्टअप खड़ा किया है, जो 120 एकड़ जमीन पर फैला है। अमन ने 120 एकड़ में डेयरी फार्म खोला है, जिसमें उसके पास 300 से अधिक गायें हैं और उन गायों से निकला दूध एवं पंजाब के घर-घर में बनने वाला बिलोने का घी उनका मेजर प्रोडक्ट है।

नई दिल्ली। कोटा के युवा इंजीनियर अमन ने तकनीकी क्रॉप खेती के साथ-साथ पशु खेती से खुद का ‘गऊ ऑर्गेनिक’ नाम से स्टार्टअप खड़ा किया है, जो 120 एकड़ जमीन पर फैला है। वर्ष 2013 में इंजीनियरिंग करने के बाद, 31 वर्षीय अमन ने NDRI (नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट) से पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी की और खुद का कुछ अलग करने का प्लान किया। अमन ने 120 एकड़ में डेयरी फार्म खोला है, जिसमें उसके पास 300 से अधिक गायें हैं और उन सभी को खिलाये जाने वाला पौष्टिक चारा (गन्ना,ओट्स,खल आदि) भी वहीं शुद्ध ऑर्गेनिक तरीके से उगाया जाता है। उन गायों से निकला दूध एवं पंजाब के घर-घर में बनने वाला बिलोने का घी उनका मेजर प्रोडक्ट है। गाय के दूध के बाद उनके गोबर एवं मूत्र का भी अमन ने अपने फार्म में भरपूर उपयोग किया है। पहले गोबर एवं मूत्र से बायोगैस प्लांट द्वारा पूरे प्लांट की लगभग 80% बिजली बनाई जाती है, और उसके बाद उस गोबर एवं मूत्र को गोबर,केंचुआ खाद, वर्मीकम्पोस्ट, उपले आदि बनाने के उपयोग में लिया जाता है। अमन के स्टार्टअप से 50 लोगों को तो सीधे ही रोजगार मिला हुआ है और उनकी क्लस्टर फार्मिंग से 55 अन्य किसानों को फायदा हो रहा है। अमन का कहना है कि, “मैंने इंजीनियरिंग की पढाई के बाद से ही डेयरी फार्म के जरिये शुद्ध दूध और बिलोने का घी लोगों के घर-घर तक पहुंचाने का मन बना लिया था, इसलिए पीजी के लिए NDRI में दाखिला लिया। वहां से डेयरी फार्म की बारीकियां सीख खुद के स्टार्टअप में उन्हें उम्दा तरीके से लागू किया। स्टार्ट अप के जरिये ऑर्गेनिक दूध,बिलोने का घी,केंचुआ खाद, गोबर खाद,वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाये जाते है। प्लांट को चलाने के लिए 80% बिजली भी प्लांट से ही बायोगैस के जरिये बना रहे है, साथ में क्लस्टर फार्मिंग के जरिये 55 अन्य आसपास के किसानों को भी जोड़कर मुनाफा पहुंचाया जा रहा है।”

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इंजीनियरिंग के बाद से ही अमन की रुचि कृषि में थी, इसलिए उसने NDRI करनाल से डेयरी फार्म की बारीकियां सीखने के लिए फिल्ड से अलग हटकर पोस्ट ग्रेजुएशन की पढाई की। NDRI से पीजी की पढ़ाई के बाद अमूल एवं नेसले जैसी बड़ी कंपनी में जॉब भी की लेकिन जॉब से संतुष्टि नहीं मिली और कोटा में आकर खुद का कुछ करने की ठान ली। इसके बाद अपने दोनों भाई गगनप्रीत एवं उत्तमजोत सिंह के साथ मिलकर गऊ ऑर्गेनिक स्टार्टअप शुरू किया। शुरू में कुछ ही गायों के साथ शुरू किया लेकिन बाद में यह संख्या बढ़ती गयी और अब यह संख्या 300 तक पहुंच गयी। गऊ ऑर्गनिक डेयरी फार्म में तकनीक का भरपूर उपयोग किया गया है। यहां गायों की सेहत एवं स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। उनके फीडिंग के लिए चारा फार्म में ही उगाया जाता है, जिसमें गन्ना,गेहूं के ओट्स, खल,पशु आहार के आवश्यक तत्त्व आदि मुख्य हैं। यह सब बिना केमिकल के बनाया और उगाया जाता है, उनके लिए पीने में फ़िल्टर वाटर का इंतजाम किया गया है ताकि दूध की गुणवत्ता अच्छी रहे। वातावरण,आर्द्रता व तापमान को अनुकूल करने के लिए ऑटोमेशन के जरिये पंखे, पानी की बौछार वाले पाइप, गर्मी से बचाव के लिए ऊपर अच्छी शेडिंग आदि की व्यवस्था की गयी है। अधिकतर जहां देखने को मिलता है कि डेयरी फार्म में गोबर एवं मूत्र की बदबू होती है लेकिन गऊ ऑर्गेनिक में इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया है। गोबर और मूत्र को हर दो घंटे में ऑटोमेटिक रेल द्वारा हटाया जाता है। गंदगी की वजह से गायों को कोई बीमारी न हो, इसलिए उनके आस-पास की दिन में दो बार रोजाना सफाई की जाती है। दूध निकालने से पहले वाशिंग सेंटर में गायों को ऑटोमैटिक शावर दिया जाता है, फिर दूध के लिए उनको मिल्क सेंटर में भेजा जाता है, जहां पर मशीनों के जरिये उनका दूध निकाला जाता है।

बायो गैस प्लांट से बनी बिजली का मूल्य 2 रुपये प्रति यूनिट, जरूरत की 80% बिजली मिल जाती है बायो गैस प्लांट से –

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दूध के अलावा प्लांट में गायों से एक और महत्वपूर्ण प्रोडक्ट जो अमनप्रीत ने काम में लिया, वो है गोबर एवं मूत्र। गाय के गोबर एवं मूत्र को एकत्रित करने के लिए शेड के पास ही एक अंडरग्राउंड टैंक बनाया गया है, जिसमें स्लाइडिंग रेल के माध्यम से गोबर और मूत्र को हर दो घंटे में डाला जाता है, जहां से वो सीधे बायो गैस प्लांट में जाता है। प्लांट में यह गोबर एवं मूत्र जनरेटर के माध्यम से बिजली में बदला जाता है। इसी बिजली से प्लांट में होने वाली सप्लाई का कुल 80% भाग कवर होता है। अमन ने बताया अभी उनके पास 40 किलो वाट के दो प्लांट है, जो बायो गैस से ही बिजली उत्पादन का कार्य करते है। बिजली बनने के बाद इसी गोबर एवं मूत्र से वर्मी कम्पोस्ट, गोबर खाद, केंचुआ खाद, कंडे आदि बनाये जाते है, तथा खुले बाजार के साथ ऑनलाइन बाजार में बेचा जाता है। अमेज़न पर गऊ ऑर्गेनिक की केंचुआ खाद और वर्मी कंपोस्ट टॉप सेलर में है। बायो गैस प्लांट में बनने वाली बिजली का मूल्य प्रति यूनिट मात्र 2 रुपये पड़ता है जबकि बाहर से ली गयी बिजली की कीमत फ़िलहाल 9 रुपये प्रति यूनिट के लगभग है।