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Cabinet Expansion : मोदी कैबिनेट से इन दिग्गजों की छुट्टी होने के पीछे ये रही बड़ी वजह, जानिए ‘विदाई’ की इनसाइड स्टोरी

Modi Cabinet Expansion: कुछ मंत्रियों की कार्यशैली धीमी रही तो कुछ जनता का विश्वास जीतने में असफल रहे। इसका खामियाजा उन्हें अपना पद त्याग कर देना पड़ा। वैसे जिन बड़े नेताओं को इस्ताफी देना पड़ा है उनमें से कई लोगों को पार्टी संगठन में अहम जिम्मेदारी देने की खबरें चल रही हैं।

नई दिल्ली। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर कैबिनेट में जहां 15 नए चेहरों को जगह मिली है, वहीं कुछ ऐसे भी पुराने मंत्री रहे जिन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा है। बता दें कि इस लिस्ट में कई बड़े दिग्गजों के नाम भी शामिल हैं। मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस बड़े फैसले से हर कोई हैरान है। वैसे हैरान करने वाले फैसले मोदी सरकार ने पहली बार लिए हों, ऐसा नहीं है, पिछले साल 7 सालों में मोदी सरकार में कई फैसले ऐसे रहे जो हर किसी को अचंभित कर देने वाले रहे। इसी में इस बार कैबिनेट विस्तार भी शामिल रहा। इस बार कैबिनेट विस्तार को लेकर करीब सवा महीने से मंथन किया गया। तब जाकर मोदी सरकार ने छंटनी किए जाने वाले मंत्रियों और नए चेहरों की लिस्ट बनाई। इस्तीफा मांगे जाने के पीछे जो सबसे बड़ी वजह रही वो ये कि मोदी सरकार द्वारा दिए गए लक्ष्यों को तय सीमा में कई मंत्री पूरा नहीं कर पाए।

इसके अलावा कुछ मंत्रियों की कार्यशैली धीमी रही तो कुछ जनता का विश्वास जीतने में असफल रहे। इसका खामियाजा उन्हें अपना पद त्याग कर देना पड़ा। वैसे जिन बड़े नेताओं को इस्ताफी देना पड़ा है उनमें से कई लोगों को पार्टी संगठन में अहम जिम्मेदारी देने की खबरें चल रही हैं।

Ravi Shankar Prasad

रविशंकर प्रसाद

वैसे इस्तीफा देने वालों में बड़ा नाम रविशंकर प्रसाद का भी है। बीते कुछ दिनों में जिस तरह से ट्विटर विवाद चर्चा में रहा, उसको लेकर माना जा रहा है कि रविशंकर प्रसाद को इस्तीफा देना पड़ा है। कानून और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) का पद संभालने वाले रविशंकर प्रसाद ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ट्विटर के खिलाफ खूब बयानबाजी की। हालांकि ट्विटर ने भी केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए आईटी कानून के तहत अधिकारियों की अनिवार्य नियुक्ति करने से आनाकानी कर रहा था। ट्विटर की हरकतों से जनता में संदेश साफ गया कि एक अमेरिकी कंपनी ट्विटर, भारत सरकार को भी आंखें दिखा सकती है। इस तरह से मोदी सरकार और खासकर रविशंकर प्रसाद की भी इमेज को जबरदस्त धक्का लगा।

Dr. Harshvardhan

डॉ हर्षवर्धन

कोरोना काल की दूसरी लहर में जिस तरह से मोदी सरकार की फजीहत हुई है उसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को खामियाजा भुगतना पड़ा। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते मोदी सरकार की छवि काफी धूमिल हुई। लोगों ने आरोप लगाया कि पहली लहर में मोदी सरकार ने जिस तरह से स्थिति को कंट्रोल किया, वो दूसरी लहर में देखने को नहीं मिली। इस निष्क्रियता की वजह से लाखों मौतें हुईं। विपक्ष ने जमकर मोदी सरकार पर बेड और ऑक्सिजन की कमी से लेकर प्रबंधन पर निशाना साधा। कई मौकों पर विपक्ष के सवालों को हर्षवर्धन ने करारा जवाब नहीं दिया, उसके आरोपों को झेलते रहे। इसका खामियाजा उन्हें अपने पद से इस्तीफा देकर चुकाना पड़ा।

इनका भी रिपोर्ट कार्ड रहा कमजोर

मोदी सरकार में कई ऐसे मंत्री रहे जिनका रिपोर्ट कार्ड कमजोर सामने आया और उन्हें मोदी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया गया। इसमें संजय धोत्रे जोकि मानव संसाधन मंत्रालय में ही राज्य मंत्री थे, उनका भी नाम शामिल है। माना जा रहा था कि मंत्रालय को लेकर प्रधानमंत्री की नाराजगी के चलते धोत्रे भी निपट गए। उधर, प्रताप सारंगी, बाबुल सुप्रियो, रतनलाल कटारिया, देबाश्री चौधरी जैसे मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भेजे अपने रिपोर्ट कार्ड में अपना कोई खास काम नहीं बता पाए। नतीजा सबके सामने है। मोदी सरकार प्रथम दिन से साफ संकेत दे रही है बिना काम के सरकार में काम नहीं चलेगा। ऐसे लोगों को पीएम मोदी बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। प्रधानमंत्री ने यह माना कि इन सभी ने बतौर मंत्री मिले महत्वपूर्ण अवसर का फायदा नहीं उठाया और देश में बदलाव को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई।

pratap sarangi babul supriyo

बाबुल सुप्रियो का तो हाल कुछ ऐसा रहा कि वो बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में खुद ही सीट नहीं निकाल पाए और हार गए। बंगाल में कुछ यही हाल देबाश्री चौधरी का भी रहा। यही वजह है कि इन दोनों को हटाकर बंगाल से चार नए चेहरों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है। बहरहाल, थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाकर मोदी कैबिनेट के सम्मानजनक विदाई दी गई है।

ramesh pokhriyal nishank

रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को लेकर जानकारी सामने आई कि उन्हें खुद के स्वास्थ्य के चलते अपना पद छोड़ना पड़ा। हालांकि एक कारण ये भी कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ने शिक्षा विभाग में जो बदलाव की उम्मीद उनसे की थी, वो नहीं हो पाई। उनके कार्यकाल में नई शिक्षा नीति की रूपरेखा तो जरूर आ गई, लेकिन स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रमों में बदलाव के मोर्चे पर वो तेजी नहीं दिखी जिसकी सरकार को उम्मीद थी। ध्यान रहे कि मोदी सरकार ने बड़े सुधारों वाले क्षेत्र में शिक्षा को भी शामिल कर रखा है। हद तो यह कि मानव संसाधन मंत्रालय की तरफ से वित्तीय सहायता प्राप्त पत्रिकाओं में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रचार किया जा रहा था, लेकिन संबंधित मंत्री को लंबे समय तक भनक नहीं लगी और जब इसका पता भी चला तो वो तुरंत कार्रवाई भी नहीं कर सके।
Prakash jaavdekar

प्रकाश जावडेकर

कई अहम मौकों पर सरकार का पक्ष रखने वाले सरकार के प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर और उनके मंत्रालय की जिम्मेदारी थी कि वह कोरोना काल में सरकार की इमेज सही तरीके से रखते हुए उचित कदम उठाएं, लेकिन इस काम में उनका मंत्रालय विफल रहा। वहीं देसी मीडिया के अलावा विदेशी मीडिया में भी सरकार की काफी छवि धूमिल हुई। इसका खराब असर सीधे पीएम मोदी की इमेज पर पड़ा। जावडेकर की उम्र भी उनके हटने की एक वजह बताई जा रही है। वह 70 साल के हैं।

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