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ध्वस्त होते पाकिस्तान से सबक लेने की जरूरत

हिंदुस्तान में भी पाकिस्तान के मुरीदों की कमी नहीं है। वे बात बात में पाकिस्तान के गुण गाते हैं। ये वे लोग हैं जिन्हें अगर चौबीस घंटों के लिए पाकिस्तान छोड़ दिया जाए तो उनका जीना मुहाल हो जाएगा। भारत के भीतर वे जो लोकतंत्र, आजादी और अवसरों की समानता का हक पाते हैं, उसका एक हिस्सा भी उन्हें पाकिस्तान में नही मिलने वाला।

पाकिस्तान बुरी तरह ध्वस्त हो चुका है। उसकी अर्थव्यवस्था धराशायी हो चुकी है। शासन व्यवस्था नेस्तनाबूद हो चुकी है। सेना परोक्ष रूप से सरकार पर काबिज़ हो चली है। आतंक का निर्यात करने वाला पाकिस्तान इस समय खुद आतंक का शिकार है। जिन्ना ने जिस पाकिस्तान की नींव रखी थी, वह उसी रास्ते पर चलते हुए अब बर्बादी के शिखर पर पहुंच गया है। जो मजहबी कट्टरता वहां हिंदुओं की दुश्मन हुआ करती थी, अब उसने मुसलमानों को भी नहीं बख्शा है। वे आपस में ही जंग लड़ रहे हैं। मारने मरने पर आमादा हैं। वहां रोटी के इस कदर लाले हैं कि आम जनता को दो जून की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है।

economic crisis in pakistan 1

सवाल है कि आखिरकार पाकिस्तान का ये हाल क्यों हुआ। आखिर पाकिस्तान एक राष्ट्र के तौर पर अपनी ही मौत क्यूं मर रहा है। जब वहां पर लगभग लगभग मुसलमान ही आबादी में हैं तो फिर आखिर आपस में ये मारकाट क्यों हो रही है। दरअसल पाकिस्तान ने जिस कट्टरपंथ को खाद पानी दिया, अब वही उसका सबसे बड़ा दुश्मन हो गया है। पाकिस्तान ने जिन आतंकवादियों को पाला-पोसा उनके ग्रेनेड और हथियार अब पाकिस्तान पर ही गिर रहे हैं। वहां कट्टरता की होड़ मची है। हर नेता खुद को दूसरे से ज्यादा कट्टर साबित करने के लिए बुरी तरह बेचैन है। इसी बेचैनी में वो कट्टरता के नए नए तरीके अपना रहा है। ये तरीके इतने हिंसक हो चले हैं कि इन्होंने उस देश की आत्मा को ही मार दिया है।

हिंदुस्तान में भी पाकिस्तान के मुरीदों की कमी नहीं है। वे बात बात में पाकिस्तान के गुण गाते हैं। ये वे लोग हैं जिन्हें अगर चौबीस घंटों के लिए पाकिस्तान छोड़ दिया जाए तो उनका जीना मुहाल हो जाएगा। भारत के भीतर वे जो लोकतंत्र, आजादी और अवसरों की समानता का हक पाते हैं, उसका एक हिस्सा भी उन्हें पाकिस्तान में नही मिलने वाला। उल्टा उनके अधिकारों को वहां बुरी तरह कुचलने की पूरी व्यवस्था है। इसके बावजूद बात बात में पाकिस्तान के गुण गाने वालों की कमी नही है। अगर इनके साथ सख्ती से न निपटा गया तो ये लोग कभी भी देश का माहौल खराब कर सकते हैं। दिल्ली दंगे से लेकर सीएए और एनआरसी के आंदोलनों में जो कुछ हुआ, उससे भी सबक लेने की जरूरत है और ये समझने की कि पड़ोसी राज्य से प्रेरित ऐसे तत्वों का मकसद क्या हो सकता है।

आलम ये है कि पाकिस्तान का बाकी दुनिया में भी कोई सगा नहीं रह गया है। कोई भी मुल्क उसकी खातिर हाथ बढ़ाने को तैयार नही है। अमेरिका जैसा देश जो अफगानिस्तान को संभालने के नाम पर लंबे समय तक उसकी मदद करता आया है, भी अब पीछे हट गया है। वह अपनी सामरिक ज़रूरतों को छोड़कर पाकिस्तान को कोई दूसरी मदद के लिए तैयार नहीं है। पाकिस्तान सऊदी अरब जैसे इस्लामिक देशों के आगे कटोरा लेकर खड़ा है, मगर कोई रास्ता नहीं निकल रहा है। चीन भी सिर्फ पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है। चीन पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर इस इस्तेमाल का सबसे बड़ा प्रमाण है। इस कॉरिडोर के ज़रिए पाकिस्तान के संसाधनों पर चीन ने कब्जा कर लिया है। तमाम आंतरिक विरोध के बावजूद स्थिति यह है कि पाकिस्तान कुछ कर नही सकता है।

हाल ही में पाकिस्तान के मियांवाली एयरबेस पर हुआ आतंकी हमला भी एक बड़ी हकीकत को बयां करता है। पाकिस्तान में रोज ही नए नए आतंकी संगठन पैदा हो रहे हैं। इस हमले में तहरीक ए जेहाद सरीखे नए आतंकी संगठन का नाम आया है। ये संगठन पाकिस्तान को तकरीबन रोज ही टारगेट कर रहे हैं। बलूचिस्तान से लेकर सिंध और पंजाब तक पाकिस्तान निशाने पर है। उसका शासन तंत्र ध्वस्त हो चला है। पहले इन आतंकी संगठनों ने पर्दे के पीछे से पाकिस्तान की सत्ता को चलाना चाहा मगर अब ये सामने से प्रवेश कर गए हैं। पाकिस्तान में इनके हमदर्दों की भी कमी नही है। कट्टरता के नाम पर ये हमदर्द उसे रोज ही एक नई आग में झोंक रहे हैं। पाकिस्तान ध्वस्त होता जा रहा है। वह अब एक ऐसा माडल बन चुका है जिससे सचेत रहने औऱ सबक़ लेने की जरूरत है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)