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मोहब्बत नहीं, कांग्रेस की झूठ की दुकान चला रहे राहुल गांधी

मोहब्बत की दुकान चलाने की बात करने वाले राहुल गांधी दरअसल मोहब्बत की नहीं, बल्कि कांग्रेस की झूठ की दुकान चला रहे हैं। आज तक वो जो भी बोलते आए हैं, वो झूठ ही निकला है, क्योंकि जो भी उन्होंने बोला उसके संबंध में वह कभी कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाए।

हिंदुओं को लोकसभा में हिंसक बताने वाले राहुल गांधी हमेशा से झूठ ही बोलते आए हैं। मजेदार बात यह है कि जब भी वो झूठ बोलते हैं, पकड़े जाते हैं। ड्यूटी पर शहीद होने वाले अग्निवीर अजय सिंह को लेकर उन्होंने कोरा झूठ बोला। इस मामले में भ्रम फैलाते राहुल गांधी ने शहीद के सम्मान और मिलने वाली राशि को लेकर जो झूठा नैरेटिव रचने की कोशिश की थी, उसका जवाब सेना ने दे दिया। सेना की तरफ से इस मामले में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा गया कि अग्निवीर अजय के परिवार को पहले ही 98.39 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। अग्निवीर योजना के प्रावधानों के अनुसार लागू लगभग 67 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और अन्य लाभ, पुलिस सत्यापन के बाद भुगतान किए जाएंगे। देय कुल राशि लगभग 1.65 करोड़ रुपये होगी।

सदन में दिए गए अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने यह भी दावा किया था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और विकास के लिए जिन लोगों की जमीनें ली गईं, उन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिला। यह भी कोरा झूठ निकला। उनके इस बयान की बखिया स्वयं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उधेड़ दी। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अयोध्या में विभिन्न विकास कार्यों के दौरान विस्थापित हुए लोगों को 1733 करोड़ रुपये की धनराशि मुआवजे के तौर पर प्रदान की गई है। इस संबंध में उन्होंने आंकड़े भी जारी किए, जिसमें बताया गया कि अभी तक अयोध्या में हुए विभिन्न विकास कार्यों के लिए 21,548 व्यक्तियों को मुआवजा दिया जा चुका है।

पिछले दिनों संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने लगातार झूठ बोले। उन्होंने कहा, संविधान बदल दिया जाएगा। महिलाओं के खाते में हर माह 8,500 रुपए दिए जाएंगे। महिलाओं से फर्जी फार्म भरवाए गए। राहुल ने एक और झूठा नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की, उन्होंने कहा कि देश में 20 करोड़ से अधिक लोग गरीब हो गए हैं, जबकि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार एनडीए के शासनकाल में 25 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से बाहर आए हैं।

इससे पहले, राहुल गांधी ने भाजपा को घेरने के लिए राफेल विमानों के सौदे पर सवाल उठाते हुए दावा किया था कि राफेल सौदे में भ्रष्टाचार किया गया। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने राफेल मामले में दायर की गईं सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया । इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस की कंपनी ‘दसॉल्ट’ से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के केंद्र के राफेल सौदे को क्लीन चिट भी दी थी।

राहुल गांधी ने कई बार आरोप लगाया कि चुनावों में ईवीएम टेंपरिंग की जाती है, जबकि वो इसको साबित करने के लिए उनके पास कोई आधार नहीं था। राहुल गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने कराई थी। इस मामले में उन पर मानहानि का केस दायर हुआ। दो वर्षों तक मामला चलता रहा। वर्ष 2016 में उन्होंने अपना बयान ही वापस ले लिया कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा।

राहुल गांधी ने दावा किया था कि डोकलाम विवाद में चीन के जवानों ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। सरकार ने इस आरोप को खारिज कर दिया। बाद में चीजें स्पष्ट हुई तो पता चला कि भारतीय सेना ने चीन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। राहुल गांधी लगातार बोलते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था गिर रही है, जबकि सत्य यही है कि पिछले एक दशक में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। दरअसल कांग्रेस अपने शासनकाल के दौरान जो लगातार करती आई, जिस तरह की भ्रामकता कांग्रेस ने फैलाई उसी परंपरा का निर्वाह राहुल गांधी भी कर रहे है।

राहुल गांधी केवल झूठ ही नहीं बोलते बल्कि राजनीति भी वही करते हैं जिससे उनका फायदा हो। उदाहरण के तौर पर तमिलनाडु में जहरीली शराब पीने से 60 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। इनमें ज्यादातर दलित समुदाय के लोग थे, उन्होंने इस संबंध में एक भी शब्द नहीं बोला, राज्य सरकार पर कोई सवाल नहीं उठाए , कहीं कोई बयान भी नहीं दिया। यदि वह खुद को दलितों का मसीहा बताते हैं तो उनको इस घटना पर भी बयान देना था, निंदा करनी थी, वहां का दौरा करना था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया।

जबकि हाल ही में उत्तर प्रदेश में सत्संग में हुई घटना को लेकर उन्होंने तमाम बयान दिया, वहां गए भी। क्यों ? क्योंकि राहुल गांधी कांग्रेस की उसी परंपरा का इस निर्वहन करते आए हैं जो कांग्रेस सत्ता पाने के लिए हमेशा से करती आई है। अपने राजनीतिक फायदे के लिए झूठ बोलना भ्रामकता फैलाना यही कांग्रेस का तरीका है। राहुल गांधी मोहब्बत की नहीं बल्कि झूठ की दुकान चला रहे हैं।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।