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भारत की सीमाओं को अभेद्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा नया इमिग्रेशन और विदेशी अधिनियम

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का यह बयान कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है, यदि कोई व्यापार के लिए या सहयोग के लिए आता है तो उसका स्वागत है, लेकिन अवैध घुसपैठ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह स्पष्ट संदेश है कि भारत अब किसी सूरत में घुसपैठ बर्दाश्त नहीं करेगा

लोकसभा में बीते गुरुवार 27 मार्च 2025 को ‘इमिग्रेशन और विदेशी अधिनियम, 2025’ पास हुआ है। यह भारत की सीमा सुरक्षा और आंतरिक स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। गृह मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 सालों में महज 12,000 अवैध प्रवासियों को ही निर्वासित किया गया है। जबकि लाखों की संख्या में अवैध घुसपैठिए भारत में रह रहे हैं। जिसमें सबसे बड़ी संख्या बांग्लादेशियों और इसके बाद रोहिंग्याओं की है। इस अधिनियम के तहत कानून उल्लंघन पर सजा के कड़े प्रावधान किए गए हैं।

यह अधिनियम पुराने कानूनों जैसे फॉरेनर्स एक्ट 1946, पासपोर्ट एक्ट 1920, रजिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेनर्स एक्ट 1939 आदि को रद्द करके बनाया गया है। यह एक्ट ब्रिटिश भारत में विदेशी नागरिकों के पंजीकरण के लिए बनाया गए थे।औपनिवेशिक काल के दौरान बनाए हुए इन कानूनों में सजा हल्की थी और पकड़े गए घुसपैठियों के निर्वासन की प्रक्रिया भी काफी जटिल थी। वहीं ‘इमिग्रेशन और विदेशी अधिनियम, 2025’ में कानूनों को सख्त बनाया गया है। इसमें बिना वैध पासपोर्ट या वीजा के भारत में प्रवेश करने या रहने वाले विदेशी नागरिक को 5 साल तक की कैद और 5 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि मामला गंभीर हो तो सजा और जुर्माना दोनों ही करने का प्रावधान भी है।

इस अधिनियम में फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर नकली पहचान पत्र और दस्तावेज बनाकर भारत में अवैध तरीके से रहने वालों पर सात साल का कठोर कारावास और दस लाख रुपए तक का जुर्माना भी किया गया है। भारत के निवासी भी यदि घुसपैठियों को बसाने में संलिप्त पाए जाएंगे उन पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे अपराध को संगठित अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा, जिससे इस तरह के अपराध करने वाले लोगों को प्रश्रय देना भी अपराध की श्रेणी में आएगा और जमानत का प्रावधान नहीं होगा। इसके माध्यम से सरकार की मंशा उन संगठित गिरोहों पर नकेल लगाने की भी है जो फर्जी आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनाकर घुसपैठियों को यहां बसाने के काम में संलिप्त हैं।

इस नए अधिनियम के तहत यदि कोई विदेशी नागरिक देश की सुरक्षा, संप्रभुता या अखंडता के लिए खतरा पैदा करने का प्रयास करता है। मसलन वह आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है, या खुफिया जानकारी एकत्रित करता हुआ पाया जाता है तो उसे भारतीय कानून के अनुसार आजीवन कारावास तक देने का प्रावधान किया गया है। घुसपैठियों को शरण देने वाले और नौकरी देने वाले लोगों को भी बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे अपराध के लिए इस अधिनियम के तहत ऐसे लोगों को पांच साल की तक की सजा और जुर्माना देने का प्रावधान किया गया है। यदि एक बार पकड़े जाने के बाद कोई फिर से पकड़ा जाता है तो सजा और जुर्माना दोनों को ही दो गुना तक बढ़ाने का प्रावधान भी इस अधिनियम में किया गया है।

अधिनियम के प्रावधानों के तहत अब विदेशी नागरिकों को छह श्रेणियों— पर्यटक, छात्र, बिजनेस वीजा होल्डर, शरणार्थी, अवैध अप्रवासी व अन्य में बांटा गया है। अन्य में वह लोग हैं जो उपचार या अन्य किसी कारण से भारत में हैं। हर श्रेणी के लिए नियम तय गए हैं। इससे पहले जो कानून थे वह अवैध घुसपैठ को रोकने में नाकाम साबित हो रहे थे। यहां तक कि वीजा की समय सीमा खत्म होने के बाद भी लोग लंबे समय तक यहां पर रह जाते थे। इस अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति वीजा खत्म होने के बाद भी भारत में रह रहा है तो उसे भी पांच साल तक की सजा दी जा सकती है। यही नहीं उस पर दोबारा भारत में प्रवेश करने पर पाबंदी भी लगाई जा सकती है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 14 लाख अवैध घुसपैठियों के होने की संभावना है। जो भारत के विभिन्न हिस्सों में बिना सही दस्तावेजों के रह रहे हैं। इस अधिनियम को बनाने का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने का प्रयास करना है। यह अधिनियम यदि सही तरीके से लागू हुआ तो यह भारत की सीमाओं को अभेद्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा और देश को घुसपैठियों के खतरे से बचाने में अहम भूमिका अदा करेगा। आशा है कि इस विधेयक के राज्यसभा में पास होने पर कानून बनने के उपरांत एक-एक घुसपैठिये की पहचान कर उसे निर्वासित करा जा सकेगा।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।