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शाहबानो प्रकरण में मुस्लिम महिलाओं का जो हक राजीव गांधी ने मारा था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने किया बहाल

संविधान की दुहाई देने वाली कांग्रेस का मुस्लिम प्रेम जग जाहिर है। बात—बात पर संविधान की दुहाई देने वाले कांग्रेस मुसलमानों के मामले में शरिया के हिसाब से चलती है। कांग्रेस ने तीन तलाक कानून को भी साजिश बताया था और बदलने की बात भी कही थी।

कट्टरपंथी मुसलमानों के दबाव में 1985 में राजीव गांधी सरकार ने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटकर जो ज्यादती मुस्लिम महिलाओं के साथ की थी उसे आज तक सुधारा नहीं गया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकार को लेकर जो फैसला सुनाया है उससे मुस्लिम महिलाओं में एक आस फिर से जगी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने शौहर से गुजारा भत्ता पाने के लिए याचिकाएं दायर कर सकती हैं। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कानून हर धर्म की महिलाओं के लिए लागू होता है, मुस्लिम महिलाएं भी कानून की इस धारा के तहत गुजारा भत्ता पाने की अधिकारी हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के आने के बाद से अभी तक कांग्रेस की तरफ से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, क्योंकि कांग्रेस ही वह पार्टी है जिसने 1985 में शाहबानो के पक्ष में दिए गए गुजरा भत्ते के निर्णय को पलट दिया था। दरअसल 1985 में, सर्वोच्च न्यायालय ने इंदौर की एक मुस्लिम महिला शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाया था। शाहबानो ने तलाक के बाद अपने पति से भरण-पोषण की मांग की थी, लेकिन उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संसद में एक अधिनियम लाकर उसके माध्यम से फैसले को पलट दिया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कट्टरपंथी मुसलमानों के दबाव में कांग्रेस ने ऐसा किया था, क्योंकि हमेशा से मुसलमानों को वोट बैंक के तरह इस्तेमाल करती आई कांग्रेस नहीं चाहती थी कि मुस्लिम वोट बैंक उससे छिटक जाए।

हर रैली में, संसद में संविधान की दुहाई देने वाली कांग्रेस पार्टी मुसलमानों के नाम पर चुप्पी साध लेती है। वह वही सुनती है जो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कट्टरपंथी मुसलमान चाहते हैं। तीन तलाक पर कानून बनने के बाद भी कांग्रेस ने इसका विरोध था। फरवरी 2019 फरवरी में कांग्रेस के अल्पसंख्यक महाधिवेशन में तत्कालीन महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने वोट बैंक के लिए खुले तौर पर बयान दिया था कि यदि हमारी सरकार बनी तो हम इस कानून को खत्म कर देंगे। यह कानून कुछ नहीं है बस मुस्लिम पुरुषों को जेल में डालने के लिए भाजपा की साजिश है। इस कार्यक्रम में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष और वर्तमान में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे।

बात—बात पर संविधान की दुहाई देने वाले कांग्रेस मुसलमानों के मामले में शरीयत के हिसाब से चलती है जबकि बाकी मामलों में वह संविधान की दुहाई देने लगती है। वक्फ बोर्ड को सबसे ज्यादा अधिकार कांग्रेस ने ही दिए हैं, वहीं हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ करने में कांग्रेस ने कोई कसर कभी नहीं छोड़ी। रामसेतु और भगवान राम को कांग्रेस ने काल्पनिक करार दे डाला था। अभी भी कांग्रेस वही कर रही है। राहुल गांधी बोल ही चुके हैं कि जो लोग मंदिर जाते हैं वही लड़कियों और महिलाओं के साथ छेड़खानी करते हैं। कांग्रेस के मुस्लिम प्रेम का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने हिंदुओं को बदनाम करने और वोट बैंक के लिए फर्जी ‘ भगवा आतंकवाद’ का नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश की। इस पर अजीज बर्नी से बाकायदा किताब लिखवाई गई। उसके विमोचन में भी दिग्विजय मौजूद रहे। बाद में बर्नी को अल्पसंख्यक मंत्रालय का सलाहकार बना दिया गया था। कांग्रेस सिर्फ हिंदू हित का दिखावा करती है लेकिन जहां मुसलमानों की बात आती है वहां सारे नियम कायदे, संविधान को ताक पर रख दिया जाता है।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।