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युद्धकाल में राहुल गांधी जिस तरह देश के नेतृत्व और सेना की क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं वह राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है

अपने ही देश के विदेश मंत्री पर आरोप लगाकर राहुल गांधी दुश्मन देश के एजेंडे को हवा देने का काम कर रहे हैं। इनके इस बयान को पाकिस्तान न जाने किस तरह अपने एजेंडे में इस्तेमाल करेगा

जब संघर्ष या युद्ध जैसी स्थिति हो और सीमा पार से आए आतंकवादियों उनके पनाहगारों को उन्हीं की भाषा में में उत्तर देने की कार्रवाई चल रही हो, तब राष्ट्रीय एकता और नेतृत्व में विश्वास की आवश्यकता होती है। लेकिन यह दुर्भाग्य है कि भारत की राजनीति में राहुल गांधी जैसी लोग संकट के क्षणों में राष्ट्र के साथ खड़ा होने के बजाय, उसका मनोबल गिराने और दुश्मन देश के एजेंडे को प्रेरित करने वाले बयान दे रहे हैं। यह एक तरह से राष्ट्रद्रोह करने जैसा है।

कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी 55 साल के हैं लेकिन आज तक कभी परिपक्व नहीं हो पाए, वह एक अपरिपक्व के जैसे राजनीति करते हैं। असदुद्दीन ओवैसी भी सरकार की मुखालफत करते हैं, लेकिन इस समय जो स्थिति है वह कोई ऐसा बयान नहीं दे रहे हैं। वह सरकार और सेना के साथ खड़े हैं। वहीं राहुल गांधी ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर पर आरोप लगा रहे हैं कि हमले से पहले पाकिस्तान को बता दिया गया था। हमारे कितने विमान गिरे हैं, इसकी जानकारी सरकार को देनी चाहिए।

अरे यह तो पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया को पहले से स्पष्ट था कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत जवाबी कार्रवाई करेगा। यह तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ही बोल चुके थे कि पहलगाम के आरोपियों को ऐसी सजा मिलेगी जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकते। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता भारत की सैन्य रणनीति, तकनीकी दक्षता और राजनीतिक संकल्प शक्ति का परिचायक है। इन परिस्थितियों में जबकि अभी भी दोनों तरफ तनाव बना हुआ है। सेना ने सिर्फ संघर्ष विराम किया है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर को बंद नहीं किया। ऐसे में राहुल गांधी को चुप्पी साधनी चाहिए, लेकिन आरोप लगाया कि ऑपरेशन से पहले पाकिस्तान को इसकी जानकारी दी गई थी।

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर भाजपा के विदेश मंत्री नहीं हैं, वह भारत के विदेश मंत्री हैं। उन्होंने कितनी बार अपनी विदेश नीति को साबित किया है। अनुभवी, नीतिनिपुण और वैश्विक कूटनीति के मर्मज्ञ व्यक्ति पर इतना ओछा आरोप लगाना सस्ती राजनीति तो है ही साथ ही देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने जैसा है।

क्या पाकिस्तान उनके इस बयान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नहीं भुनाएगा? क्या बार—बार वह इस बयान को लेकर अपना एजेंडा नहीं चलाएगा? वह बिल्कुल ऐसा करेगा। ऐसा नहीं कि राहुल गांधी यह नहीं जानते हैं, लेकिन ओछी राजनीति करना उनकी आदत है। इससे पहले 2019 में जब भारतीय एयरफोर्स ने पाकिस्तान में आतंकियों के खिलाफ एयर स्ट्राइक की थी तब भी उन्होंने सबूत मांगे थे।

राहुल गांधी हैं कौन? क्यों उन्हें जानकारी दी जाए? उनका यह कहना कि सरकार को यह जानकारी देनी चाहिए कि हमारे कितने विमान गिरे मूर्खता की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है? क्या यह बात उन्हें नहीं मालूम कि युद्ध या युद्ध जैसी स्थितियों में सेना अपनी रणनीति के अनुसार कार्य करती है ? खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर हमारी तीनों सेनाओं ने समन्वय कर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। क्या वह ऐसे सवाल पूछकर, बेतुके मुद्दे को उठाकर अपनी सैन्य शक्ति पर सवाल नहीं खड़े कर रहे। क्या सेना को विपक्ष की सहमति लेकर अपनी रक्षा नीति तय करनी चाहिए?

भारत की सेनाएं विश्व की श्रेष्ठतम सेनाओं में से हैं। उनका कार्यक्षेत्र गोपनीयता, तात्कालिक निर्णय क्षमता और सटीक प्रहार पर आधारित होता है। एक जिम्मेदार राजनेता होने के बजाय सेना की रणनीति पर उंगली उठाना सीधे-सीधे सेना के मनोबल को चोट पहुंचाने जैसा है। आखिर क्यों राहुल गांधी भारत के राष्ट्रीय नेतृत्व और उसकी सैन्य कार्यकुशलता को संदिग्ध बनाकर वैश्विक समुदाय में उसे कमजोर दिखाना चाहते हैं?

संघर्ष विराम होने के बाद सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रेस कांफ्रेंस की थी। भारतीय सेना ने कहीं भी यह नहीं कहा कि हमारा कोई युद्धक विमान मार गिराया गया है। दरअसल ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई ही इस तरह से की गई थी जिसमें भारत की भूमि से ही लक्ष्य तय कर मिसाइल और ड्रोन हमले पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और उनके एयरबेस पर किए गए थे। भारत का कोई भी युद्धक विमान दुश्मन की सीमा में दाखिल ही नहीं हुआ। सेना ने इस कार्रवाई को सीमित संघर्ष की संज्ञा दी, न कि युद्ध की। फिर भी राहुल गांधी लगातार वही राग अलाप रहे हैं जो पाकिस्तान के नेता और आतंकी समर्थक और वहां की मीडिया अलाप रही है।

पाकिस्तान बार—बार यह कह रहा है कि हमने भारत का एक राफेल विमान मार गिराया है, लेकिन आज तक वह एक भी प्रमाण, एक भी तस्वीर, एक भी मलबा नहीं दिखा सका। यदि वास्तव में ऐसा हुआ होता, तो पाकिस्तान की मीडिया, उनकी सरकार और उसकी सेना अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ढिंढोरा पीटकर हंगामा काट देते कि हमने राफेल को मार गिराया, हमने राफेल को मार गिराया। यहां तक कि वैश्चिक मीडिया ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पाकिस्तान को भारत ने सबक सिखा दिया। उसकी कार्रवाई बिल्कुल सटीक थी।

पाकिस्तान के सारे हमले भारत ने विफल कर दिए। पाकिस्तान बौखलाकर झूठ के सहारे अपनी हार को ढकने की कोशिश कर रहा है। वहीं राहुल गांधी जैसे लोग इस तरह के मिथ्या आरोप लगाकर उनके झूठ को हवा देने का प्रयास कर रहे हैं। क्या राहुल गांधी यह नहीं जानते कि उनका यह आरोप पाकिस्तान के प्रचारतंत्र के लिए कितना कारगर होगा? पाकिस्तान हर मंच पर इसका इस्तेमाल करेगा। राहुल गांधी द्वारा इस तरह की भाषा बोलना भारत के अंदर बैठा हुआ एक ऐसा राजनीतिक विमर्श है जो बाहरी शत्रु से ज्यादा घातक है। यह विपक्ष की भूमिका नहीं है।

देश में सबको राजनीति करने अधिकार है। लेकिन राजनीति की भी मर्यादा होती है। जब देश युद्ध जैसी स्थिति में होता है, जब सीमा पर जवान अपना जीवन दांव पर लगाकर देश की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे होते हैं, तब विपक्ष को भी मौन की मुद्रा में आकर सरकार और सेना का समर्थन करना चाहिए, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राहुल गांधी ऐसे समय में भी इतनी ओछी राजनीति कर रहे हैं। उनकी यह ओछी बयानबाजी दर्शाती है कि उन्हें न तो सैन्य विषयों की जानकारी है, न ही राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनशीलता का बोध।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।