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युवाओं के बीच जहर परोस रहे ओटीटी पर कब नकेल कसेगी सरकार !

देश में ओटीटी के कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए कोई भी कानून मौजूद नहीं है, ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जो चाहे परोस दिया जाता है। कई बार विवाद हो चुके हैं लेकिन फिर भी देश विरोधी कंटेंट ओटीटी प्लेटफॉर्म पर धड़ल्ले से परोसा जा रहा है।

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हमेशा से कथित वामपंथी निर्माता और निर्देशक समाज को बांटने और भ्रमित करने वाला सिनेमा बनाते रहे हैं। सेंसर बोर्ड होने के चलते फिल्मों में तो बहुत से दृश्यों को काट दिया जाता है। जिसके चलते एजेंडा आधारित फिल्में उस स्वरूप में रिलीज नहीं हो पाती, लेकिन ओटीटी प्लेटफार्म के लिए ऐसी कोई संस्था नहीं हैं। हाल ही में नेटफ्लिक्स पर आई वेबसीरीज आईसी 814 में देश और हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है।

इस वेब सीरीज में बहुचर्चित कंधार विमान अपहरण कांड में विमान का अपहरण करने वाले आतंकियों को ना सिर्फ हिन्दू बताया गया बल्कि साजिशकर्ता पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई को एक तरह से क्लीन चिट देने की कोशिश की गई है। सीरीज में अपहर्ताओं के नाम भोला, शंकर, चीफ आदि रखकर लोगों को भ्रमित करने का प्रयास किया गया। मामले ने तूल पकड़ा तो सफाई दी गई कि वह उनके कोड नेम थे इसलिए ऐसा दिखाया गया। विवाद नहीं थमा तो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। मंत्रालय द्वारा नेटफ्लिक्स को नोटिस भेजा गया। जिसके बाद अब नेटफ्लिक्स संबंधित बदलाव करने पर सहमत हो गया है। अब सीरीज के ओपनिंग डिस्क्लेमर में ही हाईजैकर्स के असली नाम और कोड वाले नाम दिखाए जाएंगे।

जिन आतंकवादियों ने विमान को हाईजैक किया था उनके नाम इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, गुलशन इकबाल, सनी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर थे लेकिन अनुभव सिन्हा निर्देशित वेब सीरीज आईसी 814 में अपहरणकर्ताओं के हिंदू नाम रखे गए हैं। आईसी 814, विमान ने 24 दिसंबर 1999 को नेपाल के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी थी। रास्ते में विमान को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हाइजैक कर लिया। आतंकवादी अमृतसर, लाहौर, दुबई, होते हुए विमान को अफगानिस्तान के कंधार ले गए। आतंकियों ने भारत की जेल में बंद तीन पाकिस्तानी आतंकियों को छुड़ाने के लिए विमान का अपहरण किया था।

ऐसा पहली बार नहीं है, जब ओटीटी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल हिन्दू विरोधी एजेंडा फैलाने के लिए गया है। सरकारी लचरता के चलते ओटीटी एक ऐसा ठिकाना बन गया है जहां जो चाहे परोस दिया जाता है। ओटीटी पर आने पर आने वाले कंटेंट के लिए सेंसर बोर्ड की हरी झंडी की जरूरत नहीं पड़ती। वेब सीरीज के नाम पर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जितना जहर कथित सेकुलर फिल्म निर्माताओं के मन में होता है वह ओटीटी पर परोस दिया जाता है। कथित वामपंथी फिल्ममेकर जो काम बड़े पर्दे पर खुलेआम बेशर्मी के साथ नहीं कर पाते वह ओटीटी के माध्यम से कर रहे हैं।

एक के बाद एक कई ऐसी वेब सीरीज़ आई हैं जिसमें हिंदू आस्था को चोट पहुंचाई गई। भारतीय सेना का अपमान किया गया। ‘आश्रम’ नाम से बनी वेबसीरीज में आश्रम में महिलाओं के साथ यौन शोषण होना दिखाया गया है। इसका सीधा सा संदेश यही जाता है कि आश्रमों में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न किया जाता है। ‘पाताल लोक’ वेब सीरीज में में मंदिर के पुजारी को गंदी—गंदी गालियां देने वाला दिखाया गया। ‘लैला’ वेब सीरीज में हिंदुओं को आतंकी और फासीवादी दिखाया गया। ‘तांडव’ वेब सीरीज में में भगवान शिव के बारे में अनर्गल बातें फैलाई गई। एकता कपूर की ट्रिपल एक्स नाम की वेब सीरीज में सेना के जवानों की पत्नियों की छवि खराब करने की कोशिश की गई। और भी दर्जनों वेब सीरीज ऐसी हैं जिनमें इसी तरह का विवादास्पद और अश्लील कंटेंट दिखाया गया है।

आंकड़ों के अनुसार भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म के कंटेंट देखने वालों में 16 से 35 साल के लोगों की संख्या 89 प्रतिशत है। यानी ओटीटी पर सबसे ज्यादा युवा मौजूद हैं। वेब सीरीज के माध्यम से उन्हें ‘स्लो पॉइजन’ देकर भ्रमित करने का खेल चल रहा है। उनके मन में गलत विचार डाले जा रहे हैं। ओटीटी पर दिखाए जाने वाले कंटेंट को लेकर कई बार विवाद हो चुके हैं लेकिन अभी तक सरकार इस संबंध में कोई ठोस कानून नहीं ला पाई है। नतीजतन जमकर ओटीटी पर विवादास्पद कंटेंट दिखाया जाता है। ओटीटी के लिए नियमावली और सख्त कानून बनाए जाने की जरूरत है ताकि ओटीटी पर अश्लील और देशविरोधी कंटेट न परोसा जा सके, और यदि कोई ऐसा करे भी तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जा सके।
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।