संसद में फिलिस्तीन लिखा बैग लेकर पहुंची प्रियंका गांधी के मामले ने जब तूल पकड़ा तो बुधवार को प्रियंका गांधी बांग्लादेश के हिंदुओं और ईसाइयों के समर्थन वाला बैग लेकर संसद पहुंचीं, यह सब सोची—समझी रणनीति के तहत किया गया लेकिन वास्तविकता क्या है सब जानते हैं। कांग्रेस की राजनीति हमेशा से समाज को बांटने वाली ही रही है। इस पूरे मामले पर गौर करें तो फिलिस्तीनी दूतावास के प्रतिनिधि आबेद अलराजेज अबु जजेर ने प्रियंका गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की थी। इसके बाद प्रियंका गांधी फिलिस्तीन लिखा हैंड बैग लेकर संसद में पहुंच गईं। उन्होंने बाकायदा फोटोग्राफरों को बैग उठाकर दिखाया भी। कहा भी जाता है कि एक तस्वीर एक हजार शब्दों के बराबर होती है। प्रियंका गांधी ने जो किया वह सीधे तौर पर एक बयान ही है जो मुसलमानों के प्रति कांग्रेस और गांधी परिवार की प्रतिबद्धता दिखाता है। यह बयान यह बताता है कि कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति के लिए कुछ भी कर सकती है। भले इसके लिए उसे कितना भी नीचे क्यों न गिरना पड़े।
2023 में अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान केरल में कांग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को राहुल गांधी ने पूरी तरह सेक्युलर बताया था। केरल में मुस्लिम लीग के साथ कांग्रेस के गठबंधन पर एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते राहुल गांधी ने कहा था, “मुस्लिम लीग पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। संभवत: आपने मुस्लिम लीग का अध्ययन नहीं किया। वायनाड में चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के साथ गठबंधन किया था। राहुल के वहां से सीट छोड़ने के बाद अब प्रियंका गांधी ने वहां से उपचुनाव जीता और संसद में पहुंची हैं।
अब मुस्लिम लीग कितनी सेकुलर है यह सब जानते हैं। मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा बनाई गई पार्टी का पूरा नाम अखिल भारतीय मुस्लिम लीग था। देश के बंटवारे में मुस्लिम लीग की क्या भूमिका रही यह सब जानते हैं। जिन्ना की मौत के बाद पाकिस्तान में फिर से मुस्लिम लीग पार्टी बनी। पाकिस्तान की मुस्लिम लीग का स्थान भारत में इण्डियन युनियन मुस्लिम लीग ने ले लिया। राजनीति में अपनी पैठ स्थापित करने के लिए मुस्लिम लीग पहले सीपीआई-एम से भी जुड़ा, लेकिन फिर 1976 में इसने कांग्रेस से गठबंधन कर लिया। तब से लेकर केरल में इसका बोलबाला है। केरल की स्थिति इस समय कैसी है इस बारे में सब जानते ही हैं।
दरअसल कांग्रेस उसी परंपरा का निर्वहन कर रही है जो अपने स्थापना काल से करती आई है। नेहरू, उनके बाद इंदिरा गांधी फिर राजीव गांधी ने जिस तरह से मुस्लिम तुष्टीकरण किया राहुल और प्रियंका भी वैसे ही कर रहे हैं। उसी थ्योरी को केंद्र में रखकर राजनीति कर रहे हैं जो कांग्रेस की परंपरा है। देश संविधान से चलता है लेकिन इस देश में कथित सेकुलरिज्म की आड़ में कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारें वोट बैंक की राजनीति के लिए मुस्लिम तुष्टीकरण करती रहीं। मनमाने ढंग से वक्फ बोर्ड को अधिकार दिए गए। नतीजा सामने है वक्फ के पास देश में रेलवे और सेना के बाद सबसे ज्यादा जमीन है। बहुत सी जगहों पर यहां तक कि मंदिरों तक को वक्फ अपनी संपत्ति बता चुका है। संवैधानिक देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लाकर मुस्लिमों को शरिया के हिसाब से अधिकार दिए गए क्यों? चर्चित शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद में पलट दिया गया ताकि मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस से छिटक न जाए। देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है यह मनमोहन सिंह ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में स्वीकार कर ही चुके हैं।
सोमवार को जो प्रियंका ने किया वैसा ही राहुल ने भी किया। राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह सम्भल में मारे गए उन्मादियों के परिजनों ने मुलाकात की थी। वे लोग राहुल गांधी से मिलने दिल्ली उनके आवास पर पहुंचे थे। इसके बाद राहुल गांधी ने सदन में अपने भाषण में कहा कि सम्भल में निर्दोष और मासूम लोगों को मारा गया। बिना जांच, बिना अदालती कार्रवाई उन्होंने उन्मादी भीड़ को मासूम करार दे दिया। राहुल गांधी ने जो यह भी एक तरह से स्पष्ट संदेश था कि वोट बैंक की राजनीति के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टीकरण के और भी बहुत से उदाहरण हैं मसलन 2011 में यूपीए सरकार के दौरान सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम बिल प्रस्तुत किया था। इसका भाजपा और उस समय विपक्ष के दलों ने घोर विरोध किया था जिसके कारण यह लागू नहीं हो पाया। इस बिल में इस तरह के प्रावधान थे कि यदि यह बिल लागू हो जाता तो कहीं भी सांप्रदायिक हिंसा होती तो बहुसंख्यक हिंदुओं को ही दोषी ठहराया जाता। गनीमत रही यह बिल लागू नहीं हो पाया।
भारत के संविधान में समानता की बात की गई है। ऐसे में मुसलमानों को मजहबी आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। देश में जातियों के आधार पर मिलने वाले आरक्षण के तहत, अनुसूचित जाति में सिर्फ हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के लोग ही शामिल हो सकते हैं, मुसलमान और ईसाई इस कैटेगरी में आरक्षण नहीं ले सकते हैं। लेकिन कांग्रेस जब सत्ता में थी तो सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि मुस्लिम समुदाय पिछड़ा हुआ है। रंगनाथ मिश्रा कमेटी ने अल्पसंख्यकों के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही थी जिसमें 10 प्रतिशत मुसलमानों के लिए था। अभी भी कांग्रेस ऐसा कर रही है तेलंगाना और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है वहां ओबीसी आरक्षण में से काटकर ओबीसी कोटे में मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। और भी ढेरों ऐसे उदाहरण हैं जो कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टीकरण को उजागर करते हैं, बहरहाल भारत की संसद में जबकि हमारे संविधान की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा चल रही हो ऐसे में इस तरह बैग लेकर प्रदर्शन करना कहीं से भी मर्यादित तो नहीं है।
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।