Poorvanchal Expressway: क्या पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से निकलेगा सत्ता वापसी का रास्ता, ये मिथक तोड़कर योगी फिर बनेंगे CM?

Purvanchal Expressway: उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे बनाने का सपना सबसे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने देखा था। साल 2002 में प्रदेश में बसपा की सरकार बनने पर ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किलोमीटर लंबे ताज एक्सप्रेस-वे के निर्माण का फैसला लिया गया।

Avatar Written by: November 16, 2021 3:18 pm
CM Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश में सत्ता के लिए सियासी बिसात भले ही जाति के इर्द-गिर्द बिछाई जा रही हो, लेकिन पिछले दो दशकों से यहां एक्सप्रेस-वे के जरिए विकास की पटकथा लिखने की होड़ मचती आ रही है। मायावती से शुरू होकर, अखिलेश और अब योगी आदित्यनाथ भी उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे निर्माण के जरिए विकास की एक-दूसरे से बड़ी सियासी लकीर खींच रहे हैं। हालांकि, मायावती और अखिलेश एक्सप्रेस-वे से सत्ता की मंजिल पर नहीं पहुंच सके, लेकिन योगी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के जरिए सत्ता में वापसी का मिथक तोड़ने के प्रबल दावेदार हैं। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं ये आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले आपको बताते हैं कि यूपी में किस तरह 2017 से पहले एक्सप्रेसवे निर्माण के जरिए सियासी लाभ लेने की कोशिशें की गईं।  सड़कें चौड़ी और चिकनी हों तो उसके इर्द-गिर्द के गांवों-कस्बों और शहरों के लोगों की जीवनशैली बदल जाती है। सूबे में 10 साल पहले तक सिर्फ एक यमुना एक्सप्रेसवे था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 165 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण मायावती के शासनकाल में हुआ था।

साल 2012 में अखिलेश यादव सत्ता में आए तो उन्होंने लखनऊ से आगरा के बीच 302 किमी लंबे आगरा एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराया। वहीं, अब योगी सरकार अगले दो महीनों में दो एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने जा रही है तो एक एक्सप्रेस-वे की वो आधारशिला रखेगी। उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे बनाने का सपना सबसे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने देखा था। साल 2002 में प्रदेश में बसपा की सरकार बनने पर ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किलोमीटर लंबे ताज एक्सप्रेस-वे के निर्माण का फैसला लिया गया।

Agra Expressway

तत्कालीन सीएम मायावती ने सात फरवरी, 2003 को लखनऊ में यमुना एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था, जिसे बनाने का जिम्मा जेपी एसोसिएट कंपनी को दिया गया। हालांकि, एक साल बाद ही राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया। मायावती की जगह मुलायम सिंह की अगुवाई में सरकार बनने पर एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य बंद करा दिया गया। साल 2007 में यूपी में पूर्ण बहुमत के साथ दोबारा बसपा की सरकार बनी तो ताज एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य फिर शुरू हो गया। इसका नाम बदलकर यमुना एक्सप्रेसवे कर दिया गया 12 हजार 839 करोड़ रुपये में बनाकर तैयार हुए इस एक्सप्रेसवे 2012 के चुनाव में बसपा ने अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश किया, लेकिन पार्टी सूबे की सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। अखिलेश यादव ने सत्ता संभालते ही अगस्त 2012 में यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया।

Yamuna Expressway

मायावती ने नोएडा से आगरा तक के लिए 165 किमी का यमुना एक्सप्रेस-वे बनवाया तो आगरा से लखनऊ को जोड़ने के लिए अखिलेश यादव ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के निर्माण का फैसला किया। अखिलेश ने नवंबर 2014 में एक्सप्रेस-वे की बुनियाद रखी, जिसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर बनाया गया। अखिलेश सरकार ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे को 22 महीनों में बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसे पूरी तरह से तैयार होने में 36 महीने लग गए।

अखिलेश यादव ने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से ऐन पहले 21 नवंबर, 2016 को आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन कर दिया और दिसंबर 2016 में इसे आम जनता के लिए पूरी तरह खोल दिया गया। 302 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में 13,200 करोड़ रुपये की लागत आई। अखिलेश यादव ने 2017 के चुनाव में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे को अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया था, लेकिन सत्ता में उनकी भी वापसी नहीं हो सकी।

Mayawati and Akhilesh Yadav

मायावती और अखिलेश सरकार के कार्यकाल में एक-एक एक्सप्रेस-वे से विकास की लकीर खींची गई तो वहीं योगी सरकार तीन एक्सप्रेस-वे की सौगात देने को तैयार है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेस-वे के जरिए सीएम योगी 2022 की चुनावी जंग फतह करने के इरादे से उतरेंगे..पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे दिल्ली से पूर्वी यूपी और बिहार को सीधे जोड़ेगा, जिससे विकास की नई इबारत लिखी जानी है। पूर्वांचल के साथ-साथ बुंदेलखंड को भी राजधानी लखनऊ से सीधे जोड़ने के लिए योगी सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे बनवा रही है। इसे दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है। 29 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रखी थी, जिसका उद्घाटन 2022 के चुनाव से पहले किए जाने का प्लान है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे धार्मिक नगरी चित्रकूट से शुरू होकर बांदा, हमीरपुर, महोबा, औरैया, जालौन और इटावा में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से जुड़ जाएगा। अभी तक 7766 करोड़ रुपये इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर लग चुके हैं।

इनके अलावा मेरठ से प्रयागराज तक के लिए योगी सरकार गंगा एक्सप्रेस-वे बना रही है। इसके निर्माण में कुल 36 हजार 230 करोड़ की लागत का अनुमान है। गंगा एक्सप्रेस-वे की प्रस्तावित लंबाई 594 किमी है, जो यूपी के 12 जिलों मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, सम्भल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज को जोड़ेगा। गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो चुका है और माना जा रहा है कि दिसंबर में पीएम मोदी इस एक्सप्रेस-वे का शिलांन्यास करेंगे।

Akhilesh Yadav Yogi Adityanath Mayawati

एक्सप्रेसवेज़ का निर्माण कर यूपी की सत्ता में वापसी न तो मायावती कर पाईं और न ही अखिलेश यादव, लेकिन योगी आदित्यनाथ इस सिलसिले को ज़रूर तोड़ सकते हैं, जी हां इस बात की तस्दीक की है सी वोटर के हालिया सर्वे ने, इस सर्वे की मानें तो सूबे में बीजेपी और उसके सहयोगियों को 213-221 सीटें मिल सकती हैं। बीजेपी गठबंधन को 41 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी और उसके सहयोगियों को 152-160 सीटों पर जीत मिल सकती हैं। वोटों के प्रतिशत के मामले में भी वे 31 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर हैं। अगर इस सर्वे में दिख रही तस्वीर हकीकत में बदलती है तो योगी आदित्यनाथ मिथक तोड़कर चुनावी फतह हांसिल करने वाले मुख्यमंत्री बन जाएंगे।