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Mango Manorath: अंबानी आवास पर हुआ ‘आम मनोरथ’ का आयोजन, इस खास अवसर पर की गई विशेष पूजा, देखिए वीडियो

‘Aam Manorath’: अंबानी परिवार द्वारा उत्पादित किए गए आम एक या दो नहीं, बल्कि कई देशों में निर्यात किए जाते हैं। आज से  25 साल पहले प्रदूषण से निजात पाने के लिए अंबानी परिवार की ओर से आम के बाग लगाए गए थे, लेकिन उस वक्त किसी ने नहीं सोचा था कि यह छोटा सा लगाया गया आम का बाग एक दिन  इस कदर विशालकाय रूप धारण कर लेना कि यहां से उत्पादित होने वाले विभिन्न देशों में निर्यात किए जाएंगे।

नई दिल्ली। मुकेश अंबानी परिवार में आम मनोरथ महोत्सव बनाया गया। इस खास मौके पर भगवान की पूजा अर्चना भी की गई। इस खास लम्हें को वीडियो में कैद करके सोशल मीडिया पर साझा किया गया, जिसे अभी खासा पसंद किया जा रहा है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे अंबानी परिवार आम मनोरथ को आस्था के रंग में घोलते हुए भगवान की पूजा अर्चना करते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में चौतरफा आम ही आम देखने को मिल रहा है। आपको हर तरह के आम देखने को मिल जाएंगे। यह दृश्य यकीनन दिल मोह लेने वाला है, लेकिन अब बड़ा सवाल आपके जेहन में उठ सकता है कि आखिर अंबानी परिवार के पास आम का ये खान कहां से आया? तो आपको बता दें कि ऊर्जा, पेट्रोकेमिकल, कपड़ा, प्राकृतिक संसाधन, खुदरा और दूरसंचार के अलावा अंबानी परिवार आम के कारोबार में भी शिरमौर है।

अंबानी परिवार द्वारा उत्पादित किए गए आम एक या दो नहीं, बल्कि कई देशों में निर्यात किए जाते हैं। आज से  25 साल पहले प्रदूषण से निजात पाने के मकसद अंबानी परिवार की ओर से आम के बाग लगाए गए थे, लेकिन उस वक्त किसी ने नहीं सोचा था कि यह छोटा सा लगाया गया आम का बाग एक दिन  इस कदर विशालकाय रूप धारण कर लेना कि यहां से उत्पादित होने वाले विभिन्न देशों में निर्यात किए जाएंगे। बता दें कि अंबानी परिवार ने गुजरात के जामगर में करीब 600 एकड़ जमीन पर आम का बाग लगाया हुआ है। यहां आपको आम के 1.5 लाख पेड़ मिल जाएंगे। 200 से अधिक प्रकार के आम की किस्में आपको यहां मिल जाएंगी। बताया जाता है कि शुरुआती दौर में आम का बाग लगाने में बेशुमार दुश्वारियां आईं थीं।


पानी भी खारा आता था , जिससे आप का पेड़ उगाने में कई दिक्कतें आईं थीं, लेकिन बाद में कुदरत की ऐसी मेहरबानी हुईं कि आम का पेड़ पलक झपकते ही फलदायी होता चला गया। हालांकि, पहले यह जमीन आम की खेती के लिए उपयुक्त नहीं थी, लेकिन उचित तकनीक का सहारा लेकर बाद में आम को खाने योग्य बनाया गया।