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SC Verdict On Adani-Hindenburg Case: अडानी के खिलाफ हिंडेनबर्ग रिपोर्ट मामले में याचिका देने वालों को सुप्रीम कोर्ट का झटका, सेबी की जांच में दखल से इनकार किया

SC Verdict On Adani-Hindenburg Case: हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट 24 जनवरी 2023 को आई थी। इस रिपोर्ट के बाद अडानी की कंपनियों के शेयरों की जमकर बिकवाली हुई। इससे गौतम अडानी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर के पायदान से लुढ़ककर काफी नीचे चले गए। सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को सेबी से हिंडेनबर्ग की तरफ से अडानी पर लगाए आरोपों की जांच के लिए कहा था।

नई दिल्ली। शॉर्ट सेलर हिंडेनबर्ग रिसर्च की तरफ से गौतम अडानी की कंपनियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि सेबी ने 22 आरोपों की जांच की। सेबी की जांच में दखल से कोर्ट ने इनकार कर दिया है और जांच को सही बताया है। कोर्ट ने कहा है कि जिन 2 मामलों में सेबी जांच कर रही है वो 3 महीने में रिपोर्ट दे। कोर्ट ने अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच के मसले पर याचिका देने वालों को जोर का झटका दिया है।

हिंडेनबर्ग और अडानी मसले पर 24 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। अमेरिका की शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडेनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में एक रिपोर्ट जारी कर अडानी ग्रुप की कंपनियों में बड़ी गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। इस मामले में सियासत भी गरमाई थी। जिसके बाद अडानी ग्रुप की जांच कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से अडानी पर लगे आरोपों की जांच के लिए कहा था। आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसे कोई तर्क नहीं दिखता कि वो सेबी को अपने नियम बदलने के लिए कहे। इससे अडानी ग्रुप को बड़ी राहत मिली है।

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हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट 24 जनवरी 2023 को आई थी। इस रिपोर्ट के बाद अडानी की कंपनियों के शेयरों की जमकर बिकवाली हुई। इससे गौतम अडानी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर के पायदान से लुढ़ककर काफी नीचे चले गए। सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को सेबी से हिंडेनबर्ग की तरफ से अडानी पर लगाए आरोपों की जांच के लिए कहा था। इसके अलावा कोर्ट ने 6 विशेषज्ञों की कमेटी भी बनाई थी। सेबी ने कोर्ट में 24 में से 22 मामलों में रिपोर्ट दी थी। जबकि, 2 मामलों में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी। हिंडेनबर्ग ने ‘अडानी ग्रुप: हाउ द वर्ल्ड्स थर्ड रिचेस्ट मैन इज पुलिंग द बिगेस्ट कॉन इन कॉरपोरेट हिस्ट्री’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी की थी। हिंडेनबर्ग ने रिपोर्ट में कहा था कि उसने 38 शेल कंपनियों की पहचान की है, जो गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी की तरफ से नियंत्रित हैं। ये कंपनियां मॉरिशस, साइप्रस, यूएई, सिंगापुर और कैरेबियाई द्वीपों में हैं।

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इन शेल कंपनियों का इस्तेमाल स्टॉक हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया। हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट में निवेशकों, पत्रकारों, नागरिकों और यहां तक कि राजनेताओं की भी आलोचना की गई थी कि वे अडानी के डर से इस धोखाधड़ी को दबा रहे हैं। हिंडेनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि अडानी ग्रुप की कंपनियां एक-दूसरे से जुड़ी हैं। अडानी की किसी एक कंपनी में कुछ गलत होगा तो पूरा ग्रुप ढह जाएगा। साथ ही रिपोर्ट में हिंडेनबर्ग ने कहा कि अडानी पोर्ट्स और अडानी विल्मर को छोड़ ग्रुप की 5 कंपनियों का अनुपात 1 से नीचे है। साथ ही इनसाइडर ट्रेडिंग वगैरा का आरोप भी लगाया गया था।

Gautam Adani

सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडेनबर्ग रिसर्च मामले की अंतिम सुनवाई 24 नवंबर 2023 को की थी। उस दिन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से कहा था कि हम हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट को अंतिम सत्य नहीं मान सकते। इस पर प्रशांत भूषण ने कहा था कि सेबी ने अडानी ग्रुप की सही से जांच नहीं की और कोर्ट ये देखे कि अडानी के शेयरधारकों से कोई धोखा न हो। याचिकाकर्ताओं ने तो सेबी पर ही शक जताया था। उनका कहना था कि खुफिया निदेशालय ने 2014 में ही सेबी के प्रमुख को अडानी मामले में जानकारी दी थी। बावजूद इसके सेबी ने जांच नहीं की। वहीं, अडानी ग्रुप का कहना था कि सेबी ने पहले उसके खिलाफ जिन मामलों में जांच की, सभी में बाजार नियामक ने ग्रुप को क्लीन चिट दी थी।