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Ashoka University Raid: घोटालों के भंवर में फंसे अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक, गुप्ता ब्रदर्स पर लगा फर्जीवाड़े का आरोप

Ashoka University Raid: प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता को छोड़कर कोई भी अशोका यूनिवर्सिटी से नहीं जुड़ा है। अब सवाल प्रणव गुप्ता के आर्थिक साम्राज्य को लेकर भी उठ रहे हैं। प्रणव गुप्ता ने 1996 में पैराबोलिक ड्रग्स की स्थापना की। ये कंपनी सिर्फ 12 सालों में एक अंतरराष्ट्रीय दवा बनाने और रिसर्च करने वाली कंपनी बन गई। प्रणव गुप्ता अशोका यूनिवर्सिटी के सह-संस्थापक और ट्रस्टी हैं, जबकि विनीत गुप्ता संस्थापक और ट्रस्टी हैं।

नई दिल्ली। हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में है। अशोका यूनिवर्सिटी की स्थापना के बाद से ही इसको लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। दावा ये किया जा रहा था कि ये यूनिवर्सिटी शिक्षा में एक नया बदलाव लेकर आएगी, लेकिन पिछले कुछ साल से यूनिवर्सिटी हमेशा विवादों में है। इस बार अशोका यूनिवर्सिटी को लेकर जो खुलासा हुआ है, उससे निश्चित तौर पर यूनिवर्सिटी की साख को और बट्टा लगेगा। अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता को बैंकों के साथ फर्जीवाड़ा का आरोपी पाया गया है। इस पूरे मामले का खुलासा, प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता की कंपनी पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड पर सीबीआई छापे के बाद हुआ है। सीबीआई ने 31 दिसंबर को पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड के चंडीगढ़, पंचकुला, लुधियाना, फरीदाबाद और दिल्ली में 12 जगहों पर छापेमारी की। अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया समेत कई बैंकों के कंसोर्टियम के साथ 1626.74 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता पर आपराधिक साजिश, जालसाजी, जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके पहले कर्ज लेने और फिर बैकों को धोखा देने का आरोप है। प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड के डायरेक्टर होने के साथ-साथ अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक भी हैं।

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इन दोनों के अलावा सीबीआई ने दीपाली गुप्ता, रमा गुप्ता, जगजीत सिंह चहल, संजीव कुमार, वंदना सिंगला, इशरत गिल समेत अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता को छोड़कर कोई भी अशोका यूनिवर्सिटी से नहीं जुड़ा है। अब सवाल प्रणव गुप्ता के आर्थिक साम्राज्य को लेकर भी उठ रहे हैं। प्रणव गुप्ता ने 1996 में पैराबोलिक ड्रग्स की स्थापना की। ये कंपनी सिर्फ 12 सालों में एक अंतरराष्ट्रीय दवा बनाने और रिसर्च करने वाली कंपनी बन गई। प्रणव गुप्ता अशोका यूनिवर्सिटी के सह-संस्थापक और ट्रस्टी हैं, जबकि विनीत गुप्ता संस्थापक और ट्रस्टी हैं। 1600 करोड़ के घोटाले में आरोपी होने के बाद अशोका यूनिवर्सिटी पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या घोटाले के आरोपी किसी यूनिवर्सिटी में प्रशासनिक भूमिका की जिम्मेदारी निभा सकते हैं? क्या इसके बाद अशोका यूनिवर्सिटी के फंडिंग की भी जांच नहीं होनी चाहिए?

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अशोका यूनिवर्सिटी के बारे में कहा जाता था कि ये शिक्षा और ज्ञान की नई संस्कृति स्थापित करेगी, लेकिन सवाल ये है कि अगर इसके संस्थापक और ट्रस्टी की खुद बैंकों के साथ धोखाधड़ी के दोषी हों तो ऐसे में यूनिवर्सिटी समाज में क्या संदेश फैलाएगी? फिलहाल प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता के घोटाले को देखकर, अशोका यूनिवर्सिटी पर नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली कहावत सटीक मालूम पड़ती है।