newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

GST Collection In May 2025: मई में जीएसटी के जरिए खजाने में आए 2.01 लाख करोड़ रुपए, पिछले साल इसी महीने के मुकाबले 16.4 फीसदी ज्यादा

GST Collection In May 2025: अप्रैल की जीएसटी के आंकड़ों से पता चला था कि घरेलू लेन-देने के कारण ये 10.7 फीसदी बढ़ा था। आयातित सामान पर जीएसटी 20.8 फीसदी बढ़कर 46913 करोड़ हुआ था। अप्रैल 2025 में कारोबारियों को जीएसटी रिफंड के तौर पर 27341 करोड़ रुपए सरकार ने वापस किए थे। रिफंड समायोजित होने के बाद नेट जीएसटी में 9.1 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के खजाने में मई की जीएसटी के तौर पर 2.01 लाख करोड़ आए हैं। ये अप्रैल में जीएसटी से कम है। हालांकि, मई 2024 के मुकाबले मई 2025 में जीएसटी का कलेक्शन 16.4 फीसदी ज्यादा रहा है। इससे पहले अप्रैल 2025 में जीएसटी कलेक्शन 2.37 लाख करोड़ हुआ था। इतना जीएसटी कभी पहले नहीं मिला था। अप्रैल 2024 की बात करें, तो तब जीएसटी कलेक्शन 2.10 लाख करोड़ हुआ था। मार्च 2025 में जीएसटी कलेक्शन 1.96 लाख करोड़ रुपए रहा था।

अप्रैल की जीएसटी के आंकड़ों से पता चला था कि घरेलू लेन-देने के कारण ये 10.7 फीसदी बढ़ा था। आयातित सामान पर जीएसटी 20.8 फीसदी बढ़कर 46913 करोड़ हुआ था। अप्रैल 2025 में कारोबारियों को जीएसटी रिफंड के तौर पर 27341 करोड़ रुपए सरकार ने वापस किए थे। रिफंड समायोजित होने के बाद नेट जीएसटी में 9.1 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी। जबकि, मार्च में जीएसटी कलेक्शन फरवरी के 1.84 लाख करोड़ रुपए से 6.8 फीसदी ज्यादा रहा था। इस तरह देखें, तो जीएसटी कलेक्शन में 2 लाख करोड़ से ज्यादा रकम आ रही है। इससे केंद्र के साथ ही राज्यों को भी ज्यादा पैसा मिल रहा है।

indian currency notes 1

अप्रैल 2025 में केंद्र सरकार के खजाने में जीएसटी से 48634 करोड़ आए थे। वहीं, राज्यों को कुल 59372 करोड़ रुपए जीएसटी से हासिल हुए थे। एकीकृत जीएसटी से 69504 करोड़ और सेस से 12293 करोड़ की रकम हासिल हुई थी। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद साल 2016 में जीएसटी बिल संसद से पास कराया था। जिसके बाद जीएसटी को 1 अप्रैल 2017 से लागू किया गया था। जीएसटी में पेट्रोलियम उत्पाद नहीं रखे गए हैं। जिसकी वजह से इन उत्पादों पर केंद्र सरकार एक्साइज और राज्य सरकारें वैट लेती हैं। हालांकि, पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में लाने की काफी पहले से मांग उठ रही है, लेकिन राज्यों को वैट से ज्यादा आय होने के कारण वे इस पर राजी नहीं हुए हैं।