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New Income Tax Rules: 7 लाख की आय पर लगेगा जीरो टैक्स, यहां समझें बचत का पूरा फॉर्मूला

Budget-2023: इस फॉर्मूले को समझने से पहले आपको यह जानना होगा कि आखिर बार 2017-18 में बदलाव किया गया था। इसले आयकर स्लैब में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया था। इस बारे में जब वित्त मंत्री से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था।

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मोदी सरकार के कार्यकाल का पांचवां और आखिरी बजट पेश किया। आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस बजट को लोक-लुभावन बताया जा रहा है। इसमें जहां लोगों को आर्थिक मोर्चे पर कई सहूलियतें प्रदान की गईं, तो वहीं दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था के आधारिक संरचना को विकसित करने की दिशा में कई अभूतपूर्व प्रावधान भी किए गए हैं। रेलवे, बैंकिंग व्यवस्था, एविएशन, शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र के कायाकल्प के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। इसके साथ ही कई इलेक्ट्रॉनिक सामानों को अप्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर बड़ी राहत दी गई है, ताकि महंगाई के कहर को कम किया जा सकें। उधर, सियासी विश्लेषकों की ओर से इस बजट को सियासी चश्मे से भी देखने का सिलसिला शुरू हो चुका है, लेकिन इस बीच आयकरदाताओं को मिली छूट को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं। आइए, आगे जरा आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

आयकरदाताओं को मिली बड़ी छूट

दरअसल, पहले सालाना 5 लाख रुपए तक आय अर्जित करने वालों को आयकर अदा करने से छूट थी, जिसे अब बढ़ाकर सात लाख रुपए कर दिया गया है। यानी की अब सात लाख रुपए आय अर्जित करने वालों को किसी भी प्रकार का आयकर नहीं देना होगा, जिसे मध्यवर्गीय परिवार के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन इसी बीच आम जनमानस के बीच यह जानने की आतुरता अपने चरम पर पहुंच चुकी है कि आखिर ऐसा क्या फ़ॉर्मूला है, जिसे क्रियान्वित के बाद आय करदाताओं को सात लाख रुपए तक की आय पर किसी भी प्रकार का कर नहीं देना होगा। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।

FM Nirmala Sitharaman

तो ये है पूरा फॉर्मूला

दरअसल, इस फॉर्मूले को समझने से पहले आपको यह जानना होगा कि आखिरी बार टैक्स स्लैब में 2017-18 में बदलाव किया गया था। तब से आयकर स्लैब में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया था। इस बारे में जब विगत वर्ष वित्त मंत्री से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था कि आयकर में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं करना भी आम जनता के लिए बड़ी राहत है। बता दें कि साल 2020 में 10 फीसद का टैक्स स्लैब में जोड़ा गया था। आइए, आगे इस पूरी स्थिति को एक सूची के जरिए समझने का प्रयास करते हैं।

बजट के चुनावी मायने

ध्यान रहे कि इस बजट के चुनावी मायने भी निकाले जा रहे हैं, चूंकि इस साल जहां कुल 9 राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, तो वहीं अगले वर्ष लोकसभा का चुनाव होना है। ऐसे में जाहिर है कि केंद्र की मोदी सरकार बजट के सहारे जनता को रिझाने की कोशिश जरूरी करेगी। बहरहाल, अब इस बीच यह देखना जरूरी होगा कि बजट में जो कुछ प्रावधान किया गया है, उसे कब तक जीवंत किया जाता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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