मुंबई। शेयर बाजार नियामक सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी ने अपनी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडेनबर्ग के आरोपों को पूरी तरह नकार दिया है। सेबी ने शेयर बाजार के निवेशकों से कहा है कि वे बिल्कुल न घबराएं और भ्रम में भी न आएं। हिंडेनबर्ग रिपोर्ट के बारे में सेबी ने रविवार को जारी बयान में कहा कि उसकी प्रमुख माधवी पुरी बुच सभी जानकारियां समय-समय पर देती रही हैं और संभावित हितों के टकराव मामलों से दूर रही हैं।
अडानी ग्रुप के बारे में हिंडेनबर्ग के आरोपों पर सेबी ने अपने बयान में कहा कि 24 में से 23 आरोपों की जांच की और अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म ने पिछली रिपोर्ट में जो भी कहा था, वो साबित नहीं हुए। एक आरोप की जांच अब भी जारी है। सेबी ने कहा है कि ब्लैकस्टोन का नाम लेकर इस बार लगाए गए आरोप भी गलत है। सेबी ने कहा कि शेयर बाजार के निवेशकों को हिंडेनबर्ग रिपोर्ट का डिस्क्लेमर भी पढ़ना चाहिए। सेबी ने ये भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी हिंडेनबर्ग की पिछली रिपोर्ट के बारे में सुनवाई के बाद स्थिति साफ कर दी थी।
सेबी ने कहा है कि पिछली बार हिंडेनबर्ग के आरोपों की जांच के दौरान 100 से ज्यादा समन जारी किए। 100 बार से ज्यादा घरेलू और विदेशी रेगुलेटर व एजेंसियों से मदद भी ली। इसके अलावा 12000 पेज के दस्तावेजों पर भी नजर दौड़ाई थी। सेबी ने कहा है कि हितों के टकराव के मामले में ढांचा है और सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच ने सभी नियमों का पालन किया है। सेबी ने माधवी पुरी बुच के पति धवल बुच पर हिंडेनबर्ग के आरोप पर कहा कि उसने लोगों की राय के बाद नियमों में बदलाव किया था। नियमों में बदलाव किसी खास को नहीं, निवेशकों को फायदा पहुंचाना था। दरअसल, हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया था कि धवल बुच ब्लैकस्टोन में सलाहकार हैं और आईआरईटी नियमों में बदलाव कर इस कंपनी को फायदा पहुंचाया गया।